पद्म पुराण से जाने गण्डकी नदी का महत्व जहाँ की शालिग्राम शिला है विष्णु रूप
भारत में बहुत सी नदियों को देवी माँ की संज्ञा मिली हुई है और पुराणों में इन नदियों का महत्व बताया गया है . आज हम इस आर्टिकल में आपको गण्डकी नदी की महिमा के बारे में बताने वाले है .
पद्म पुराण में बताया गया है कि शिवजी माता पार्वती से कहते है कि , "देवी जैसे गंगोत्री धाम से निकलने वाली गंगा नदी का महात्मन है उसी तरह गण्डकी नदी का भी अत्यंत महत्व है . इस नदी से नाना प्रकार की शालिग्राम शिला प्रकट होती है . इस नदी के दर्शन मात्र से बड़े बड़े पाप मुक्त हो जाते है . यह नदी उत्तर में प्रकट हुई है .
इस नदी में भगवान विष्णु , ऋषि , सभी देवता और रूद्र का वास है . यहा व्यक्ति ब्रह्माहत्या के पाप से भी मुक्त हो जाता है .
गण्डकी नदी का उद्गम स्थल और प्रवाह क्षेत्र
गण्डकी नदी का उद्गम भी हिमालय से होता है , उसके बाद यह नदी नेपाल के माध्यम में प्रवेश करती है और फिर भारत में उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य में आती है . नेपाल में इस नदी को सालिग्रामि कहते है क्योकि यहा वो शालिग्राम का निर्माण करती है . उत्तर प्रदेश में यह नदी महराजगंज और कुशीनगर जिलों से होकर बहती है जबकि बिहार में पश्चिमी चंपारन, सारन और मुजफ्फरपुर जिलों से होकर बहती हुई पटना के पहले गंगा नदी में मिल जाती है .
गण्डकी नदी से जुड़ी रोचक बातें
☼ शालिग्राम शिला रूपी विशेष पत्थर देने वाली गण्डकी नदी एकमात्र ऐसी नदी है .
☼ यह नदी हिमालय से शुरू होती है और नेपाल से बहती हुई पटना के पास गंगा में मिल जाती है . इस नदी की कुल लम्बाई 1310 किमी की बताई जाती है .
☼ गण्डकी नदी काली और त्रिशूली दो नदियों के संगम से बनती है जो हिमालय में ही मिलती है .
☼ गण्डकी नदी के कई नाम है जैसे गंडक , सालिग्राम , सलिग्रामी , नारायणी आदि
☼ पद्म पुराण में इस नदी का महत्व गंगा के समय बताया गया है .
☼ गण्डकी नदी में विष्णु के सभी 24 अवतारों के रूप में शालिग्राम छोटे बड़े मिलते है .
गण्डकी नदी में ही क्यों मिलते है शालिग्राम ?
दोस्तों हम इसके बारे में आपको साइंटिफिक मेथड से जानकारी दे रहे है . आज से करोडो साल पहले इस धरती पर डायनासोर और एमोनोइडस रहा करते थे ,एमोनोइडस समुन्द्र में रहते थे और उनका रूप सैल की तरह होता था जिसकी फोटो हम निचे दिखा रहे है .
बहुत बड़े आकार का एस्टेरॉयड इस धरती से टकराया जिससे की धरती पर सभी जीवो का अंत हो गया और भगौलिक परिवर्तन से दो जमीने इतनी तेजी से टकराई की हिमालय का निर्माण हो गया . उसी हिमालय में जो धरती के भाग बने उसमे एमोनोइडस के फॉसिल (हड्डियां ) आ गये .
अब चुकी गण्डकी नदी हिमालय से ही ग्लेशियर के रूप में निकलती है तो साथ में हिमालय के पत्थर भी ले आती हा जिसमे कई बार यह एमोनोइडस फॉसिल मिल जाते है . करोडो साल में यह काले पत्थर के शालिग्राम बन चुके है .
सारांश
- तो दोस्तों हमने आपको इस पोस्ट में पौराणिक नदी गण्डकी के बारे में विस्तार से बताया है जिसमे आपने जाना कि पद्म पुराण के अनुसार यह नदी कितनी देवत्व वाली बताई गयी है . इस नदी से जुडी रोचक बातोँ में आपने जाना कि कैसे इस नदी में शालिग्राम शिला का निर्माण हो जाता है .
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