दण्डकारण्य जंगल के श्रापित होने की कथा

Dandakaranya Forest Story In Hindi वाल्मिकि रामायण में बताया गया है की क्यों दण्डकारण्य जंगल श्रापित हुआ | यह वही वन था जिसमे श्री राम ने कई साल अपने वनवास के बिताये थे | इस जंगल से जुडी है एक अजब गजब कहानी | कथा के अनुसार सतयुग में मनु के पुत्र महान राजा इक्ष्वांकु हुए थे जिनके 100 पुत्र थे | सबसे छोटा पुत्र कपूत और दुराचारी था | 

दंडकारण्य वन को श्राप

उसे धर्म का कोई भय नही था | पिता ने उसके कर्मो के आधार पर उसका नाम दंड रख दिया | पिता ने उसे अपने आप से दूर कर विंध्य और शैवल पर्वतों से घिरे पूर्वी-मध्य भारत का शासन उसे सौंपा दिया | साथ में उसके सहयोग के लिए शुक्राचार्य को उसका गुरु नियुक्त कर दिया | धीरे धीरे दंड गुरु से शास्त्रों का ज्ञान लेने लगा |

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दण्डकारण्य वन कैसे हुआ श्रापित ? 

गुरु की पुत्री के साथ दुराचार

गुरु के आश्रम में शुक्राचार्य की पुत्री रूपवती कन्या अरजा भी निवास करती है | दंड के दिमाग और मन में वो समा गयी और एक दिन सभी मर्यादा को तोड़ कर उसने उस कन्या के साथ दुराचार कर लिया |

दंड को मिला कठोर श्राप

जब गुरु शुक्राचार्य को इस अनहोनी का पता चला तो वे बहुत ज्यादा रुष्ट हो गये | जिसे वो ज्ञान सिखा रहे थे वो महापापी निकला | गुरु ने उसे श्राप दिया की सात दिनों के भीतर उसका सारा राजपाठ सहित नाश हो जाएगा। वह एक भयानक जंगल बन कर रह जायेगा और इस जंगल के साथ उसका नाम जुड़ जायेगा | तब से दंड राजा के नाम पर यह जंगल दण्डकारण्य कहलाता है |

dandkarnay jangal in mp


राम ने किया था इस जंगल को श्राप से मुक्त 

वनवास के बाद श्री राम , सीता और लक्ष्मण इस जंगल में भी आये और कई सालो तक यहा निवास किया . यहा रावण के सहयोगी राक्षस रहा करते थे . यह राक्षस धर्म के विरोधी थी और साधू संतो के आश्रम में जाकर पूजा पाठ तप हवन आदि में विध्न डालते थे . 

श्री राम जो की अंतर्यामी थी और वनवास की यात्रा में उनका कार्य धरती से ऐसे अधर्मियों का संहार करना ही था . 

बड़े बड़े वनों से आछ्यादित दण्डकारण्य जंगल ऐसे दैत्यों से भरा पड़ा था और श्री राम और लक्ष्मण ने अपने तीरों से उनका संहार करना शुरू कर दिया . 

वनवास के दौरान इस जगंल के सभी दैत्यों का संहार दोनों भाइयो ने करके इस वन की सभी नकारात्मकता को दूर कर दिया .

कहाँ है आज दण्डकारण्य जंगल

विंध्याचल से लेकर गोदावरी नदी तट तक लगभग 93 हजार वर्ग किलोमीटर में फैला है यह विशाल वन जिसमे छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश के कई भाग सम्मिलित है | इसके नाम के साथ जुड़ा हुआ है दंड . दंड का अर्थ है दंड देना . यह जंगल दंड देने वाला बताया गया है .

सारांश 

  1.  भारत के मध्य प्रदेश और उड़ीसा के बीच फैले दण्डकारण्य जंगल के श्रापित होने की कथा हमने आपको बताई साथ ही हमने  बताया की इस जंगल को किसने और क्यों श्राप दिया था और कैसे राम ने इसका उद्धार किया   . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर अच्छी लगी होगी . 

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