जाने सृष्टि के रचियता ब्रह्माजी के बारे में

Koun Hai Braham Dev - भारतीय सनातन धर्म में त्रिदेव की के रूप में ब्रह्मा विष्णु और महेश को पूजा जाता हैं ।

इनमे ब्रह्माजी को इस सृष्टी का रचियता का पद प्राप्त है । यह बह्रम लोक में निवास करते है पर कमल इनका सबसे प्रिय पुष्प है ।

कौन है ब्रह्मा देव

ब्रह्मा जी रूप क्या है 

इनके चार मुख है जो चारो दिशाओ का प्रतिनिदित्व करते है । इनकी जीवन संगिनी के रूप में सावित्री और देवी  गायत्री  है । पुराणों में जिक्र आता है कि इनके पहले पांच मुख थे पर शिव निंदा करने के कारण शिव गण काल भैरव ने वो मुख अलग कर दिया था . 

ब्रह्मा जी का स्वरुप


इन्होंने ही वेदों की रचना गायत्री माँ के साथ की है । इनके चार हाथो में से एक में  कमल , एक में धर्म रूपी वेद , एक में माला और एक में कमंडल  है . ब्रह्मा जी कमल के आसन पर विराजमान है .  

पढ़े : गायत्री मंत्र – जप विधि और फायदे

ज्ञान और विद्या की देवी सरस्वती इनकी पुत्री बताई गयी है ।

ब्रह्मा जी के मानस पुत्र 

संसार के रचियता ने संसार को क्रम को आगे बढ़ाने के लिए अपने कुछ मानस पुत्रो को जन्म दिया . इन्हे प्रजापति कहा गया है . मानस पुत्र वो होते है जो मन की इच्छा से जन्मते है उसमे किसी स्त्री का कोई रोल नही होता है . 

ब्रह्मा जी के ये 10 मानस पुत्र थे अत्रि, अंगरिस, पुलस्त्य, मरीचि, पुलह, क्रतु, भृगु, वसिष्ठ, दक्ष, और देव ऋषि नारद हैं 

ब्रह्मा जी के मंदिर :

इनके बहुत ही कम मंदिर है जिनमे सबसे प्रसिद्ध् मंदिर राजस्थान के पुष्कर में स्थित है |

इसके अलावा बैंकॉक का इरावन मंदिर भी इनका ही मंदिर है ।

राजस्थान में ब्रह्मा जी का मंदिर


कैसे उत्पन्न  हुए ब्रह्माजी

ब्रह्माजी का जन्म भगवान् विष्णु की नाभि से निकल रहे कमल के पुष्प से हुआ था । यह दुर्गा सप्तशती में लिखा हुआ है . सबसे ज्यादा वरदान साधु संतो को , देवताओ और असुरो को या तो महादेव ने दिए है या फिर ब्रह्माजी ने दिए है 

इन्हे परब्रह्म या परम तत्व भी कहा गया है। इनके नाम से ही पूजा पाठ करने वाले ब्राह्मणों का नाम पड़ा ।

पत्नी के श्राप के कारण नही पूजे जाते 

आपने गौर किया होगा कि ब्रहमांड के तीन महा देवो में विष्णु और शंकर भगवान की तो घर घर में पूजा अर्चना होती है पर ब्रह्मा जी की फोटो हम घर के मंदिर में या फिर मंदिरों में नही देख पाते है और ना ही इनकी पूजा अर्चना होती है . 

दोस्तों इसके पीछे ब्रह्मा जी को उनकी ही पत्नी का श्राप लगा हुआ है . एक बार वो विवाहित होकर भी यज्ञ में अपनी पत्नी के बिना बैठ गये और उन्होंने माया से दूसरी पत्नी को रच दिया . इससे गुस्सा होकर उनकी पत्नी सावित्री  ने उन्हें श्राप दे दिया कि आज के बाद उनकी पूजा नही होगी . इनके बाद पुष्कर तीर्थ में ही एक पहाड़ी पर जाकर माँ सावित्री नाराज होकर बैठ गयी . आज भी वहा आपको माँ सावित्री का मंदिर एक ऊँचे पहाड़ पर स्तिथ है . 



सारांश 

  1. तो दोस्तों आपने इस आर्टिकल में जगह रचियता ब्रह्मा जी के बारे में विस्तार से जान लिया होगा . हमने ब्रह्मा जी से जुडी रोचक बातें आपको बताई .  आशा करता हूँ आपको यह आर्टिकल जरुर पसंद आया होगा . 

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