बिहार में गया तीर्थ की महिमा
Bihar Gaya Tirth Sthal in Hindi . बिहार की राजधानी पटना से करीब 104 किलोमीटर की दूरी पर बसा है गया जिला। धार्मिक दृष्टि से गया न सिर्फ हिन्दूओं के लिए बल्कि बौद्ध धर्म मानने वालों के लिए भी आदरणीय है। बौद्ध धर्म के अनुयायी इसे महात्मा बुद्ध का ज्ञान क्षेत्र मानते हैं जबकि हिन्दू गया को मुक्तिक्षेत्र और मोक्ष प्राप्ति का स्थान मानते हैं। –
इसलिए हर दिन देश के अलग-अलग भागों से नहीं बल्कि विदेशों में भी बसने वाले हिन्दू आकर गया में आकर अपने परिवार के मृत व्यकित की आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना से श्राद्ध, तर्पण और पिण्डदान करते दिख जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते है की गया को मोक्ष स्थली का दर्ज़ा एक राक्षस गयासुर के कारण मिला है? आज हम आपको गयासुर से संबंधित वही पौराणिक वृतांत बता रह है।
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कैसे जाए बौध गया धाम
दोस्तों बौध गया धाम बिहार राज्य में स्तिथ है . बिहार की राजधानी पटना से यह सिर्फ 100 किमी की दुरी पर है . पटना भारत के सभी बड़े शहरो से बस , ट्रेन और रेलमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है .
एक प्रमुख तीर्थ होने के कारण देश के सभी शहरो से गया जी जुड़ा हुआ है .
गया जी में खुद का रेल्वे स्टेशन , एयरपोर्ट भी है . आप सीधे भी गया जी तक आ सकते है .
* वाराणसी (काशी ) से गया जी की दुरी - 255 किमी
* देवघर से गया जी की दुरी - 215 किमी
बौध गया में ही सिद्धार्थ से बुद्ध बने थे
गौतम बुद्ध इसी गया स्थान के निचे एक पीपल के पेड़ के निचे तप करके ज्ञान की प्राप्ति की थी . इस पीपल के पेड़ को अब बोधि वृक्ष के नाम से जाना जाता है . हिन्दू धर्म के साथ साथ बौध धर्म में भी गया जी विशेष महत्व है . यहा की धरती को ज्ञान की धरा कहा जाता है . बौध लोगो के लिए यह असीम ज्ञान का केंद्र है तो हिन्दुओ के लिए यह मोक्षधाम .
पितरो के लिए सबसे उत्तम स्थान है गया जी
पितृ देवी देवताओ का यहा उनके वंशज पिंडदान , श्राद्ध , तर्पण करते है जिससे पितरो को असीम शांति और सुख की प्राप्ति होती है . श्राद्ध पक्ष में देश विदेश से लोग यहा आकर अपने पितरो की शांति और मोक्ष के लिए धार्मिक क्रिया कर्म करते है . उस समय 15 दिनों के लिए यहा भव्य मेला भर जाता है . पूरी गया जी भरी होती है और जगह जगह कर्म काण्ड चलते रहते है .
गया तीर्थ से जुडी पौराणिक महिमा
Gaya Tirth Ki Pouranik Kahani . पुराणों के अनुसार गया में एक राक्षस हुआ जिसका नाम था गयासुर । उसने घोर तपस्या करके एक अनोखा वरदान माँगा की जो भी उसे स्पर्श कर ले या देख ले उसे फिर यमलोक नही विष्णु लोक प्राप्त हो | ईश्वर ने उसे यह वरदान दे दिया | इस वरदान से यमलोक सुना होने लग गया और विष्णु लोक धर्मी अधर्मी भरने लगे | क्योकि यह सभी गयासुर को देख चुके थे और वरदान के रूप में उन्हें मृत्यु बाद विष्णुलोक प्राप्त हो गया था |
यमलोक की यह दशा देख कर यमराज ने त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु महेश से विनती की यह नियमो के विरुद्ध हो रहा है | अब पापी और अधर्मी भी यमलोक की जगह विष्णुलोक में जाने लगे है | अत: आप सभी इस गयासुर के विरुद्ध कोई उपाय करे जिससे जगत का नियम सही सही चल सके |
तब ब्रह्मा ने गयासुर से कहा की तुम अपने वरदान से बहूत ही पावन और पवित्र हो | और इसी कारण देवता चाहते है की वो तुम्हारी पीठ पर हवन और पूजन कार्य करे | गयासुर यह सुनकर बहूत प्रसन्न हुआ और इस कार्य के लिए तैयार हो गया | बस फिर सभी देवता विष्णु सहित गयासुर की पीठ पर विराजमान हो गये | गयासुर की पीठ को स्थिर करने के लिए एक बड़ी सी शीला उसकी पीठ पर रख दी गयी जिसे आज प्रेत शीला कहा जाता है |
गयासुर के इस महान बलिदान के कारण भगवान विष्णु ने उन्हें यह वरदान दिया तुम्हारे नाम पर यह स्थान का नामकरण हुआ है और इस जगह जो अपने पितरो का पिंडदान और श्राद्ध करेंगे उन्हें मुक्ति प्राप्त होगी |
यह स्थान गया धाम कहलाने लगा |
गया तीर्थ में दर्शनीय स्थल
विष्णु पद मंदिर :- जैसा की आपको नाम से पता चल रहा होगा कि यह मंदिर विष्णु के चरण के निशान के ऊपर बनाया गया है . यहा आकर आप भगवान विष्णु के विशाल पद चिन्हों के दर्शन कर सकते है .
महाबौधि मंदिर - यह मंदिर बौध धर्म के अनुचरो के लिए खास महत्व रखता है . इसी जगह पर महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी . यह गया रेलवे स्टेशन से 15 किमी की दुरी पर है . इस मंदिर में भगवान् बुद्ध की विशालकाय प्रतिमा भी विराजित है .
मुछलिंदा सरोवर - यह गया जी का एक पवित्र सरोवर है . सरोवर के बीच में महात्मा बुद्ध की प्रतिमा ध्यानमग्न है . यह प्रतिमा एक कई फन वाले सांप की मूर्ति पर विराजमान है . इस जगह की यह मान्यता है कि एक बार तपस्या कर रहे बुद्ध की नाग देवता मुछलिंदा ने अपने फनो को आच्यादित करके तूफ़ान से रखा की थी . बौध गया आने वाले पर्यटक यहा जरुर आते है .
माँ मंगलगौरी मंदिर :
यह हिन्दू धर्म के मुख्य शक्तिपीठो में से एक है मंदिर . इस मंदिर में माँ कात्यायनी , भगवान शिव और महिसासुर की प्रतिमाये है .
दा ग्रेट बुद्धा स्टेचू
बौध गया में भगवान बुद्ध की एक बहुत विशाल बैठी हुई अवस्था में मूर्ति बनी हुई है . यहा लगी प्रतिमा का उद्घाटन 1990 में बौध गुरु दलाई लामा ने किया था . यह प्रतिमा 80 फीट ऊँची है
कब जाए गया तीर्थ
वैसे तो आप साल भर गया तीर्थ जा सकते है . पर सबसे अच्छे समय की बात की जाये तो यह सितम्बर से लेकर नवम्बर के बीच का समय होता है . श्राद्ध पक्ष और वैशाख पूर्णिमा (बुद्ध पूर्णिमा ) के दिन यहा लाखो भक्त आते है .
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सारांश
- तो दोस्तों आपने जाना कि बिहार में बौध गया तीर्थ स्थान का धर्म में क्या महत्व है . इस धार्मिक और पौराणिक नगरी की क्या महिमा है और यहा क्यों पितरो के लिए तर्पण , दान और पिंडदान किया जाता है .साथ ही महात्मा बुद्ध का गया से सम्बन्ध के बारे में हमने आपको बताया है . आशा करता हूँ कि आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी
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