सरयू नदी पर कविता
भारत में कई नदियाँ अत्यंत धार्मिक और पवित्र मानी गयी है और जिनका सम्बन्ध पौराणिक कथाओ और घटनाकर्मो से पता चलता है . ऐसी ही एक नदी है जिसका सम्बन्ध अयोध्या के सूर्यवंशी साम्राज्य से है जिसमें एक राजा थे श्री राम .
अब इस पौराणिक और धार्मिक नदी पर बहुत से कवियों ने अपने अपने शब्दों के फूलो से कविता रूपी माला बनाकर इस नदी का श्रंगार किया है . आइये जानते है माँ सरयू पर कुछ प्रसिद्ध कविताये और गीत .
माँ सरयू नदी की महिमा और विशेषता बताने वाली यह बहुत ही प्यारी कविता सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी जी ने लिखी है |
माँ सरयू बहुत महान।
यहां घूमते थके ना राम।
जिह्वा पर बस एक ही नाम,
राम राम बस राम ही राम।
तीनो लोक करें गुणगान।
हे माँ सरयू तुझे प्रणाम।
राम – कथा सरयू के तीर,
कहता – सुनता होता वीर।
सुखमय उसका जीवन होता।
वह होता धीर – गंभीर।
पीता सदा वह राम मैं जाम,
हे माँ ! सरजू तुझे प्रणाम।
भोले बाबा औघड़ दानी।
सृष्टि में कोई नहीं है शानी।
शिव भक्तों से जो भी उलझे।
हो जाती उसकी खत्म कहानी।
शिव भक्ति मिले बिन मोल औ दाम।
हे माँ ! सरजू तुझे प्रणाम।
शिव – संग शक्ति, शक्ति से किरपा,
प्रतिपल हो सुलभ आशीष।
सभी का शुभ चाहता चले जो,
रण में होता वही है बीस।
नाम न होवे कभी नाम।
हे माँ ! सरयू तुझे प्रणाम।
सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी
लेखक : अज्ञात कविता 2
Maa Saryu Poem
ऐसा हैं युग आया देखो
हर तरफ छाया हाहाकार
गंगा मांग रही है अब,
स्वयं के लिए मोक्ष का द्वार
सरयू है हैरान अपने ही तट देखकर
छोड़ गए थे तुम कैसे,
अब ना देख पाओगे मेरा हाल
अब और ना सहा जाएगा,
तुम लौट आओ ना फिर से राम
रास रचा है मेरे तट पर
मोहन को मोह में बांधा था
राधा जपती कान्हा माला
यमुना की हर एक धारा कहती है
पर देखो व्यथा हमारी यह कैसा हाल हमारा
यमुना में बहता अब कचरा उद्योग जगत का सारा
बिहार गौरव से जुड़ा इतिहास हमारा
सोन नदी के तट का सूर्य नाम सहारा
पर सुन लो मेरी व्यथा भी,
मै भी त्रस्त बहुत हूं
बालू माफिया ने छीन ली सारी अस्मियता पुरानी
अपराध घटना बनी बिहार गौरव पर भारी
एक नहीं दो नहीं हर नदी की कहानी समान
जिस देश में पूजी जाती नदियां हर पल मातृ समान।।
सरयू नदी पर शायरी दोहे और मेसेज
रघुवर की जन्मभमि पर सरयू की धार बहती है
अयोध्या के कण कण में राम की स्तुति होती है |
~**~~~~~~~~~~**~~~~~~~~~~~~~**~
सरयू के घाट ने हर बदलता दौर देखा है
राम जन्म देखा है तो राम वनवास भी देखा है
इस सरयू घाट ने उतार चढाव का हर दौर देखा है
राम मंदिर की पुकार देखी है
तो राम मंदिर का शिलायांस भी देखा है
~**~~~~~~~~~~**~~~~~~~~~~~~~**~
पढ़े :- सरयू नदी का महत्व और महिमा
पानी की तलाश में श्रवण
पहुंचा सरयू तीर
शब्दभेड़ी बाण था दशरथ का
वो उड़ता तीर
लगा अचूक निशाना
श्रवण का सीना चीर
मुख से चीत्कार
और देह से फूट पडा रुधिर
सुन चीत्कार श्रवण की
दशरथ हुए अधीर
मात तात है प्यासे मेरे
पिला आओ उन्हें नीर
यह कह कर श्रवण ने
दशरथ की गोद में त्यागा शरीर
~**~~~~~~~~~~**~~~~~~~~~~~~~**~
सरयू का किनारा है , निर्मल जल की धारा है .
प्रभु रामकी अयोध्या का भव्य नजारा है |
~**~~~~~~~~~~**~~~~~~~~~~~~~**~
पूरा हुआ श्री राम का वनवास
सरयूतट की पावन अयोध्या नगरी में
पुनः रघुनंदन का होगा राज
राम सिया का स्वागत होगा खास
~**~~~~~~~~~~**~~~~~~~~~~~~~**~
सारी व्याकुलता
समस्त अकुलाहट
सारा संशय
संपूर्ण ताप
सारे विकार
सारी अशुद्धियां,
सारा संताप
दुख दारिद्र,
जब जाकर..
समा जाते हैं
उस पतित पावन
सरयू के जल में,
तब...
होता है सूर्योदय..
सूर्यवंशी श्रीराम मय
हृदय के सूर्य का उदय..
नैनों के जल में झिलमिलाती रश्मियां
ऐसा ही हो संपूर्ण जीवन सभी का,
दीन दयाला, कृपा रखना...!!
~**~~~~~~~~~~**~~~~~~~~~~~~~**~
जयति जय जय माँ सरयू
बहुत-बहुत बधाई
ReplyDeletePost a Comment