पूर्णिमा और अमावस्या का चन्द्रमा से जुड़ा रहस्य

No moon light day and Full moon light impact on our heart :- क्या आपने कभी यह सोचा की क्यों पूर्णिमा के दिन चाँद पूर्ण और अमावस्या के दिन चंद्रमा दिखाई नही देता | विज्ञान के अनुसार चाँद की खुद की कोई रोशनी नही होती और उसका दिखना सूर्य के प्रकाश पर निर्भर करता है . जितना प्रकाश सूर्य का उस पर पड़ता है उसका उतना हिस्सा दिखाई देता है . 

इस थ्योरी से पूर्णिमा की रात चंद्रमा का पूरा हिस्सा दिखाई देता है क्योकि सूर्य की रोशनी सबसे ज्यादा इस रात ही इस पर पड़ती है जबकि अमावस्या पर बिलकुल भी सूर्य की रोशनी चाँद पर नही पड़ती है . 

poonam or amawasya chand se


पूणम

पूर्ण चन्द्रमा का दिखाई देना पूणम (Poornima) की रात है | यह शुक्ल पक्ष के 15वे दिन आती है | हर पूर्णिमा का अपना धार्मिक महत्व है | इस दिन कोई ना कोई त्यौहार जरुर आता है | यह दिन व्रत पूजा पाठ का माना गया है |

अमावस्या

यह माह की अंतिम और 30 वी तिथि पर आती है जब रात पूर्ण अन्धकार में डूबी होती है | यह रात बुरी शक्तियों और घर के पितृ देवी देवताओ ( पितरो ) की मानी जाती है | सोमवार को आने वाली मावस को सोमवती अमावस्या और शनिवार को आने वाली को शनिश्चरी अमावस्या कहते है | अमावस्या के दिन कुछ चीजो का दान करने से पितृ प्रसन्न होते है और नकारात्मकता हमसे दब जाती है . 

आपदा और हादसे में बढोतरी

पूर्णिमा और अमावस्या यूं तो खगोलीय घटनाएं हैं, लेकिन ज्योतिषियों की नजर में पूर्णिमा के दिन मोहक दिखने वाला और अमावस्या पर रात में छुप जाने वाला चांद अनिष्टकारी होता है। यह सीधे व्यक्ति के मन को संचालित करता है और प्रभाव दिखाता है | ज्योतिष विज्ञान का मत है की इन दो दिनों में हादसे और प्राकृतिक आपदो के आने के अवसर भी बढ़ जाते है | आप एक उदाहरण तो समुन्द्र में उठने वाले ज्वार भाते से देख सकते है जो चंद्रमा पर निर्भर करता है |

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हमारे मानव शरीर में 80 % तक पानी है और इस जल पर चंद्रमा का असर दिखाई देता है | यह मन को चंचल और अशांत बना देता है | इससे व्यक्ति की आपराधिक कर्म बढ़ जाते है | व्यक्ति तनाव और चिंतन के उच्चतम स्तर तक पहुँच जाता है |

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पूर्णिमा और अमावस्या को कैसे रखे मन को शांत

मनुष्य शरीर में मन और जल पर चंद्रमा का प्रभाव पड़ता है | यह मन को अशांत और आपराधिक बनाता है | कहते है ना , ” मन के हारे हार है , मन के जीते जीत ” | अत: मन बहुत बड़ा कारक है जो तय करता है की हम खुश रहेंगे या दुखी | अत: पूर्णिमा और अमावस्या के दिन हमें इसकी शांति के लिए अपना समय पूजा आराधना और ईश्वर की भक्ति में लगाना चाहिए | गलत बातो से दूर और उनसे प्रभावित नही होना चाहिए | अपने आप को व्यस्त रखे और ज्यादा नही सोचे |


सारांश 

  1.  तो दोस्तों यहा हमने आपको बताया कि पूर्णिमा और अमावस्या तिथि का चाँद से क्या सम्बन्ध है और कैसे यह हमारे जीवन में अच्छी बुरी शक्तियों को प्रभावित करता है .  आशा  करता हूँ कि यह पोस्ट आपको जरुर पसंद आई होगी

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