हनुमान कहानी : हनुमान के सीने में श्री राम और सीता
Ram Sita in Lord Hanuman ji Chest Story in Hindi .
एक प्रसंग के अनुसार रावण पर विजयी प्राप्त करके प्रभु राम, माता सीता अपने भक्त और सेवक हनुमान के साथ अयोध्या वापस लौट चुके थे. प्रमु राम के आने की खुशी में पूरे अयोध्या में हर्षोल्लास का माहौल था, राजमहल में राज्याभिषेक की तैयारी चल रही थी |
सभी को श्री राम विजयी प्राप्ति पर उपहार दे रहे थे | इस बार जब उपहार की बारी हनुमान की आई | प्रभु ने उन्हें मोतियों की अनमोल माला दी | सभी के सामने हनुमान ने माला के हर मोती को कान से लगाते और तोड़ देते | इस तरह उन्होंने सभी मोतियों के टुकड़े टुकड़े कर दिए | सभी हैरान होकर उन्हें देखने लगे , माता सीता से रहा नहीं गया और उन्होंने इसके पीछे का कारण पूछ लिया | हनुमान जी ने बताया की यह माला उनके लिए व्यर्थ है क्योकि किसी भी मोती से राम नाम का स्वर नहीं आ रहा | हनुमान जी ने कहा यह कितनी भी अनमोल क्यों ना हो पर मेरे लिए व्यर्थ है क्योकि जिसमे राम नही उसका मेरे लिए कोई काम नही .
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इस पर व्यंगरूप में माता सीता ने हनुमानजी से पूछ लिया की क्या तुम्हारे रोम रोम में श्री राम है | सारे दरबार के सामने तब हनुमान जी ने अपना सीना चीर के दिखा दिया की उनके मन में श्री राम और माँ सीता विराजते है |
सब ने अपनी आँखों से देखा कि रक्त निकलते हुए सीने से आशीष देते हुए श्री राम और जानकी की छवि उभर रही थी . सबने भक्त शिरोमणि हनुमान जी की जयजयकार लगाई .
सच में हनुमान जैसा भक्त दूसरा कोई नही हो सकता है .
ऐसे अनन्य भक्त न कभी हुए है न ही होंगे ....
धन्य है श्री हनुमान
विभीषण भी है व्यंग के पीछे
एक भजन के अनुसार विभीषण ने यह ताना हनुमान जी को मारा था और भरे दरबार में बालाजी ने अपना सीना चीर राम सीता को अपने मन मंदिर में दिखला दिया था |
तेरे जैसा राम भक्त ना
हुआ ना होगा मतवाला
एक जरा सी बात की खातिर
सीना फाड़ दिखा डाला
सीना फाड़ दिखा डाला , सिया राम के दर्श करा डाला
एक जरा सी बात की खातिर सीना फाड़ दिखा डाला .
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