इंदौर के पितृ पर्वत पर विराजे अष्ठधातु के हनुमान
Pitreshwar Dham Indour . इंदौर के पितृ पर्वत अर्थात पितरेश्वरधाम पर विश्व की सबसे बड़ी और वजनी अष्ठधातु की हनुमानजी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा 2020 में हो गयी है | यह मूर्ति 108 टन वजन की है | इस इलाके में अपने पितरो की याद में वृक्ष लगाये गये है जिसके कारण आस पास हरियाली है | यह स्थान धार्मिक महत्त्व के साथ साथ घुमने फिरने के लिए बहुत ही सुन्दर एरिया है | इसके साथ ही इंदौर में ही बड़े गणेश मंदिर में दुनिया की सबसे बड़ी गणेश मूर्ति लगी हुई है .
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कैसी है हनुमान प्रतिमा
यहा अष्टधातु की प्रतिमा 72 फुट ऊंची और 72 फुट चौड़ी है जिसका रंग पीला है | हनुमानजी की गदा 21 टन की और लंबाई 45 फुट है। यदि इसके वजन की बात करे तो यह 90 टन के बराबर है .
इस मूर्ति को बनाने में लगभग 10 करोड़ रुपए की लागत लगी है .
रात्रि में मूर्ति पर लेजर लाइट से हनुमान चालीसा और रामायण की घटनाओ को मुद्रित किया जाता है जो देखना भक्तो को अति आनंदित करता है |
इंदौर में कहाँ है पितरेश्वरधाम
इंदौर में देवी अहिल्या बाई होलकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से पितरेश्वर हनुमान धाम की दूरी करीब 3 किलोमीटर है। गंगवाल बस स्टैंड से करीब 8 किलोमीटर और रेलवे स्टेशन से 11 किमी की दुरी पर है।
क्यों कहलाता है पितरेश्वरधाम ?
साल 2002 में इंदौर के महापौर कैलाश विजयवर्गीय ने लोगो से आग्रह किया कि पितृ पर्वत पर अपने पितरो के नाम पर पेड़ पौधे इस पर्वत पर लगाये जिसका ध्यान और देखभाल इंदौर नगर निगम करेगा .
उनकी विनती पर लोगो ने बढ़ चढ़कर भाग लिया और हजारो पेड़ पौधे इस पितृ पर्वत पर लगा दिए गये . 18 साल बाद बहुत से पेड़ विशालकाय रूप ले चुके थे .
उसके बाद यहा इस पर्वत पर एक विशालकाय राम धुनी में मस्त हनुमान जी कि मूर्ति लगाने का कार्य किया गया .
तब उसके बाद से इस जगह का नाम पितरेश्वर धाम (Pitreshwar Dham ) पड़ गया है .
हनुमान जी मूर्ति की स्थापना के लिए छोड़ा अन्न
2002 में ही कैलाश विजयवर्गीय ने घोषणा कर दी थी कि जब तक इस पर्वत पर हनुमान जी मूर्ति स्थापित नही हो जाती तब तक वे अन्न को ग्रहण नही करेंगे . 18 साल तक वो राजगिरे के आटे की रोटी और फल ही खाते रहे .
उनका सपना 2020 में जाकर पूरा हुआ . उसके बाद ही उन्होंने अपने गुरु शरणानंद के हाथों अन्न ग्रहण किया था .
हनुमान संध्या को होता है लाइट शो
यहा हर संध्या को हनुमान चालीसा का पाठ लाउड स्पीकर के साथ होता है जिसके साथ जर्मनी से आई 3D लेजर लाइट शो भी मूर्ति पर रामायण के पात्रो को जीवंत करता है . शाम को बहुत से लोग इस नज़ारे को देखने यहा बड़ी मात्रा में आते है और हनुमान भक्ति में डूब जाते है . यह संध्या के समय एक बहुत ही प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बन जाता है .
सारांश
- तो दोस्तों आपने हनुमान जी की अष्ट धातु से बनी विशालकाय प्रतिमा पितरेश्वर धाम के बारे में इस पोस्ट से जाना . हमने आपको इस तीर्थ धाम का इतिहास भी बताया और यह भी आपने जाना कि आप कैसे इंदौर के पितृ पर्वत पर विराजे हनुमान मूर्ति के दर्शन कर सकते है . आशा करता हूँ कि यह पोस्ट आपको जरुर पसंद आई होगी .
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