कैसे बने हनुमान जी इतने महाशक्तिशाली

वाल्मीकि रामायण के अनुसार, बाल्यकाल में जब हनुमान सूर्यदेव को फल समझकर खाने को दौड़े और सूर्य को निगल लिया तो हनुमान से अपरिचित तो घबराकर देवराज इंद्र ने हनुमानजी पर वज्र का वार किया। वज्र के प्रहार से हनुमान निश्तेज हो गए। यह देखकर वायुदेव बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने समस्त संसार में वायु का प्रवाह रोक दिया। संसार में हाहाकार मच गया। तब परमपिता ब्रह्मा ने हनुमान को स्पर्श कर पुन: चैतन्य किया। उस समय सभी देवताओं ने हनुमानजी को वरदान दिए। इन वरदानों से ही हनुमानजी परम शक्तिशाली बन गए।

kaise bane hanuman etne shaktishali


1. भगवान सूर्य ने हनुमानजी को अपने तेज का सौवां भाग दिया । उन्होंने कहा की शास्त्रों का यह बहुत बड़ा ग्यानी होता और इसका यश सभी लोको में फैलेगा | बाद में सूर्य हनुमान जी के गुरु भी बने |

2. धर्मराज यमराज ने हनुमानजी को वरदान दिया कि यह मेरे दण्ड से अवध्य और निरोग होगा।

3. धन के देवता कुबेर ने वरदान दिया कि इस बालक को युद्ध में कभी विषाद नहीं होगा तथा मेरी गदा संग्राम में भी इसका वध न कर सकेगी।

4. भगवान शंकर ने यह वरदान दिया कि यह मेरे और मेरे शस्त्रों द्वारा भी अवध्य रहेगा।

5. देवशिल्पी विश्वकर्मा ने वरदान दिया कि मेरे बनाए हुए जितने भी शस्त्र हैं, उनसे यह अवध्य रहेगा और चिंरजीवी होगा।

6. देवराज इंद्र ने हनुमानजी को यह वरदान दिया कि यह बालक आज से मेरे वज्र द्वारा भी अवध्य रहेगा।

7. जलदेवता वरुण ने यह वरदान दिया कि दस लाख वर्ष की आयु हो जाने पर भी मेरे पाश और जल से इस बालक की मृत्यु नहीं होगी।

8. परमपिता ब्रह्मा ने हनुमानजी को वरदान दिया कि यह बालक दीर्घायु, महात्मा और सभी प्रकार के ब्रह्दण्डों से बचा रहेगा | यह अपने अनुसार अपने आकार और छोटा और बड़ा कर पायेगा | युद्ध में कोई भी इसे जीत नहीं पाएगा। यह अपनी गति को भी तीव्र या मंद कार्य पायेगा ।

9. इसके अलावा जब हनुमान ने श्री राम की दीर्घआयु की कामना से सम्पूर्ण शरीर पर सिंदूर लगा लिया तब उन्हें माता सीता ने अमर होने का आशीर्वाद दे दिया | तब से बालाजी अष्ट चिरंजीवी में से एक है |

हनुमान शक्ति प्रदर्शन


शक्तियों का करने लगे दुरुपयोग ? 

बालक हनुमान को शक्तियां मिलने के बाद वे अपनी शक्तियों का दुरूपयोग करने लगे . वे ऋषि मुनियों के आश्रम में जाते और अपने वानर स्वभाव के कारण वहा शरारत करने लगते . उनके इस स्वभाव से ऋषि मुनि नाराज होने लगे . उन्ही में से एक ऋषि ने फिर हनुमान जी को श्राप दे दिया कि वो अपनी शक्तियों को भूल जायेंगे .

हालाकि ऋषि को यह पता था कि हनुमान जी राम कार्य के लिए ही धरती पर अवतरित हुए है अत: उन्होंने यह भी कहा कि जब कोई हनुमान जी को उनकी शक्तियां याद दिलाएगा तब वे फिर से अपनी सभी शक्तियों का प्रयोग कर पाएंगे . 

यही कारण है कि समुन्द्र को लांघने से पहले जामवंत हनुमान जी को उनकी शक्तियां याद दिलाते है .

कवन सो काज कठिन जग माही , जो नही होई तात तुम पाई

राम काज लगी  अवतारा , सुनतहिं भयउ पर्बताकारा


सारांश 

  1. इस पोस्ट में आपने जाना कि कैसे हनुमान जी इतने शक्तिशाली बने . किन किन देवी देवताओ ने उन्हें राम काज करने की शक्ति दी थी .   आशा करता हूँ कि यह पोस्ट आपको जरुर पसंद आई होगी .

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