गंधमादन पर्वत – कलियुग में यही है हनुमान जी का वास
Hanuman ji gandhmadan parvat par niwas karte hai : यह तो आप जानते है की हनुमान जी को अजर अमर देवता कहा जाता है | अब बात यह जानने योग्य है की कलियुग में उनका वास किस स्थान पर है | भारत के कई प्रसिद्ध पर्वत धार्मिक द्रष्टि से अत्यंत महतवपूर्ण है जो अपने साथ रोचक सम्बन्ध जोड़े हुए है |
हनुमान की जन्मस्थली में है माँ अंजना और बाल हनुमान का मंदिर
कहाँ है गंधमादन पर्वत?
इसकी स्तिथि को लेकर कुछ संदेह है | कोई इसे हिमालय पर्वत श्रेणी में बसे शिव वास स्थली कैलाश पर्वत के उत्तर में बताते है जो की तिब्बत के क्षेत्र में आता है तो कही इसे रामेश्वरम् शहर से करीब डेढ़ मील उत्तर-पूर्व में बताया गया है | एक और गंधमादन पर्वत उड़ीसा में भी बताया जाता है पर वो यह वाला नही है |
वर्तमान में यह तिब्बत के क्षेत्र में आता है। यहां जाने के तीन रास्ते हैं। पहला मार्ग नेपाल होते हुए मानसरोवर के आगे, दूसरा विकल्प भूटान के पहाड़ी इलाके से और तीसरा रास्ता अरुणाचल से चीन होते हुए है।
पुराणों में बताये गये है इसके बारे में
धन के देवता कुबेर की लंका जब रावण ने छीन ली तब उन्होंने गंधमादन पर्वत पर ही शरण ली |
द्वापर युग में भीम की हनुमान जी से इसी स्थान पर भेट हुई थी और उन्होंने भीम का गर्व खंडित किया था | यह हमने पहले भीम और हनुमान जी कहानी में बताया है .
यहा कश्यप ऋषि ने घोर तपस्या की थी |
यहाँ पापात्मा नहीं पहुँच पाते और चोटी पर पहुँचने से पहले ही जीव जन्तुओ द्वारा मारे जाते है |
हनुमान जी के अमर होने के सबूत
त्रेता में जब सीता माता की खोज करते करते हनुमान जी अशोक वाटिका आये तो उन्होंने राम जी की मुद्रिका सीता जी को देकर अपने राम दूत का सबूत पेश किया और माता सीता को धीरज बंधाते हुए वादा किया कि श्री राम जी सेना सहित आकर उन्हें रावण से मुक्त करा लेंगे ,
तब माँ सीता ने प्रसन्न होकर हनुमान जी से कहा
अजर अमर गुणनिधि सुत होए .
हे हनुमान पुत्र तुम अजर अमर हो जाओ . बस तब से हनुमान जी अजर अमर है और आज भी धरती पर वास करते है .
हमने महाभारत में जाना कि द्वापर युग में पांडवो में वो भीम से मिले थे और कृष्ण के आदेश पर वो अर्जुन के रथ की ध्वजा पर सवार होकर उसे अजेय बना रखे थे .
कलियुग में वे तुलसीदास से मिले और उनके रामचरितमानस लिखने में सहायता की .
इस तरह हमने देखा कि त्रेता , द्वापर और कलियुग तीनो कालो में हनुमान जी जीवित है .
सारांश
- तो दोस्तों यहा हमने जाना कि हनुमान जी का वास किस पर्वत पर है और यह गंधमादन पर्वत कहाँ स्तिथ है . आशा करता हूँ कि यह पोस्ट आपको जरुर पसंद आई होगी .
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