क्यों माँ काली को दक्षिणा काली भी कहा जाता है
Kyo Kaali Maa Kahalati Hai Dakshina Kaali . काली माँ हिन्दुओ की रूद्र देवी है जो दैत्यों के संहार को अपने भक्तो की रक्षा के लिए अवतरित हुई है | हमने पिछली पोस्ट में बताया था की किस तरह माँ काली का जन्म हुआ | काली शब्द का अर्थ है महाअंधकारमय और यह रंग उन्हें मिला है शिवजी के कंठ में बसे हलाहल विष से | दूसरा काली शब्द का अर्थ है काल की पत्नी | हम सभी जानते है की भगवान शिव को संहारक कहा जाता है जिनका दूसरा नाम महाकाल है | शिव कालो के काल है और उनकी पत्नी पार्वती का एक रूद्र रूप काली ही है |
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आइये जाने क्यों माँ काली कहलाती है दक्षिणा काली ?
महाकाली के रूप भेद असंख्य है जिन्हें पूरी तरह समझना मनुष्य के वश की बात नही है | हालाकि धार्मिक शास्त्रों में इन्हे आठ भेद बताये गये है जो निम्न है |
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काली के आठ रूप
१) चिंतामणि काली , २) स्पर्शमणि काली , ३) संततिप्रदा काली , ४) सिद्धि काली , ५) दक्षिणा काली , ६) कामकला काली , ७) हंस काली , ८) गुहा काली
इसके अलावा काली के तीन भेद विशेष प्रसिद्ध है जो है १) भद्रकाली , २) श्मशान काली और दक्षिणा काली
उपरोक्त तीनो रूपों की विशेष रूप से आराधना तंत्र मंत्र में की जाती है |
यहा हम विशेष रूप से दक्षिणा काली की महिमा के बारे में जानेंगे |
दक्षिणा काली का महत्व और महिमा
जैसे दक्षिण मुखी हनुमान की महिमा अत्यंत मानी जाती है वैसे ही काली के दक्षिण दिशा की तरफ की गयी मूर्ति की शक्ति को सबसे ज्यादा मान्यता प्राप्त होती है | काली उपासको में माँ का यह रूप सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है | इस रूप में इनका एक और नाम है दक्षिणा कालिका |
निर्वाण तंत्र के अनुसार
दक्षिण दिशा भगवान सूर्य के पुत्र मृत्यु के देवता यमराज की मानी गयी है | दक्षिणा काली के उपासको को यह अकाल मृत्यु नही देते | यमराज उनके भक्तो पर विशेष स्नेह रखते है और कभी नरक नही ले जाते |
दूसरा मत दक्षिणा काली नाम के पीछे
हम सभी धार्मिक कर्म की समाप्ति के बाद दक्षिणा देते है जो फल की सिद्धि देने वाली है , उसी प्रकार दक्षिणा काली को सभी कर्म फलो की सिद्धि देने वाली माँ बताया गया है | एक मत और भी है सबसे पहले दक्षिण मुखी भैरव ने इनकी उपासना की थी और इसी कारण तब से उनका नाम दक्षिणा काली पड़ गया |
दक्षिणा काली माँ महाशक्तिशाली मंत्र
शवारुढां महाभीमां घोरदृंष्ट्रां वरप्रदाम्।
हास्य युक्तां त्रिनेत्रां च कपाल कर्तृकाकराम्।
मुक्त केशी ललजिह्वां पिबंती रुधिरं मुहु:।
चतुर्बाहूयुतां देवीं वराभयकरां स्मरेत्॥
अर्थ : शव पर खड़ी महा विशालकाय दिखने वाली , वरदान देने वाली है | तीन नेत्र वाली माँ जोर जोर से हंस रही है और उनके हाथ में कपाल (नरमुंड ) है | उनके बाल बिखरे हुए और जीभ से रुधिर पी रही है | चार हाथो वाली माँ जो वरदान देने वाली है , का हम स्मरण करते है |
सारांश
- देवी माँ काली का दूसरा नाम दक्षिणा काली या दक्षिणा कालिका क्यों है . इनका दक्षिण दिशा से क्या सम्बन्ध है . इनकी पूजा अर्चना से कैसे काल पर जीत पाई जा सकती है . हमने आपको दक्षिणा काली से जुड़े इस आर्टिकल में यह बताने की कोशिश की है .
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