कैसे हुआ माँ काली का जन्म जाने कथा

Incarnation of Goddess Kali लिंग पुराण में आये प्रसंग के अनुसारएक बार एक बहुत ही शक्तिहाली दारुण नाम का असुर हुआ | उसके अत्याचार से सभी लोक कांपने लगे | उसे यह वरदान प्राप्त था की वो किसी स्त्री के हाथो ही मारा जा सकता है | देवी देवता ब्रह्मा जी के पास जाकर विनती करे की वे स्त्री रूप धारण करके दारुण का संहार करे | ब्रह्मा जी ने उनकी विनती मान ली और स्त्री रूप धारण करके उस असुर से युद्ध लड़ने लगे | पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा |

आइये इस लेख में जानते है कि कैसे माँ काली का जन्म हुआ (Maa Kaali Ke Janm Ki Katha ) 

क्यों काली को कहते है दक्षिणा काली माँ 

माँ काली का जन्म कैसे हुआ


ब्रह्मा जी फिर भगवान शिव की शरण में गये और उनसे उपाय पूछने लगे |तब महादेव ने गिरिजापुत्री को देखा और पार्वती जी ने अपनी लीला रची |

पार्वती जी ने अपना एक अंश शिव के शरीर में प्रविष्ट करवाया दिया | उस अंश ने नीलकंठ शिव के गले में पड़े हलाहल विष का पान शुरू कर दिया | शिव ने अपने तीसरे नेत्र से दैत्यों के संहार के लिए बाहर निकाला |

इस महाविशाल और महारुद्र काले रंग की स्त्री को देखकर वहा खड़े देवता भय से इधर उधर भागने लगे | उस काली के मस्तिस्क पर चन्द्र देवता विराजमान थे | एक हाथ में त्रिशूल | दुष्टों का संहार करने के लिए उत्पन्न हुई माँ कालिका |

पार्वती की आज्ञा पाकर उन्होंने दारुण और उसकी सेना से युद्ध कर पल भर में उसका संहार कर दिया | पर काली का क्रोध शांत होने का नाम नही ले रहा था | तब शिव ने एक छोटे से बच्चे का रूप धारण कर काली के ममत्व को जगाया और उनका दूध पीकर उन्हें शांत किया | कई जगह ऐसा भी जिक्र है कि माँ काली का प्रलयकारी रूप शांत करने के लिए शिव ने काली माँ के पैरो में आ गये थे


कब आती है काली जयंती  

काली माँ का अवतरण दिवस यानी की काली जयंती हर साल श्रावण मास में मनाई जाती है . यह शिवजी के प्रिय मास सावन के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है . इस दिन काली भक्त माँ की आराधना धूम धाम से करते है . दुर्गा सप्तसती का पाठ किया जाता है और माँ काली के दिव्य मंत्रो का जप संकटों को दूर करता है .

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