गणेशजी ने दिया चंद्रमा को श्राप
Ganesh Curse on Moon . धर्म ग्रंथ बताते है की गणेशजी के जन्मदिवस यानि गणेश चतुर्थी पर हमें चंद्रमा (चन्द्र देवता ) के दर्शन नही करने चाहिए |
यदि हम ऐसा करते है तो गणेशजी कुपित हो जाते है और हम पर झूठे आरोप लग जाते है | पर गणेश जी और चन्द्रमा की क्या दुश्मनी है . इसके पीछे एक पौराणिक कथा है जो इस तरह है . चंद्रमा को अपनी सुन्दरता पर घमंड था और उसने गजमुखी गणेश जी का अपमान किया | इसी के कारण गणेशजी ने उन्हें यह श्राप दिया |
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आइये जाने गणेश जी के चाँद को श्राप देने की कथा :
एक बार श्री गणेशजी रात्रि के समय अपनी सवारी मूषक पर बैठकर किसी जगह से भोज करके आये थे | बहुत सारे लड्डू खाने से उनका उदर (पेट) ज्यादा ही बाहर निकल गया | वे अपनी सवारी पर अच्छे से बैठ भी नहीं पा रहे थे | यह सब आसमान पर से चंद्रमा देख रहा था |
उन्हें यह नजारा देख कर बहुत हंसी आ रही थी | रोकने के बाद भी जब उनकी यह हंसी नही रुकी तो वे जोर जोर से पेट पकड़ कर हसने लग गये | जब यह सब गणेशजी ने देखा तो उन्हें इस बात पर बहुत गुस्सा आया | उन्हें लगा की चंद्रमा ने अपनी सुन्दरता के अभिमान के कारण उनका उपहास किया है | क्रोधित होकर उन्होंने उसी क्षण चंद्रमा को श्राप दे दिया की तुम्हे जिस चांदनी पर घमंड है वो अबसे कालिमा में बदल जाएगी |
देखते ही देखते चंद्रमा काले हो गये | उन्हें अपनी भारी गलती का अहसास हुआ और वे क्षमा याचना मांगने लगे |
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तब चंद्रमा को गणेश जी बताया कि वे अपना श्राप तो वापिस नही ले सकते पर उनकी कालिमा धीरे धीरे जाती रहेगी और एक दिन वे फिर से पूर्ण चंद्रमा का आकार ले लेंगे और फिर उनका आकार छोटा होता जायेगा और एक दिन वे पूर्ण अंधकार का रूप ले लेंगे जो अमावस्या की तिथि होगी .
यही कारण है कि चंद्रमा का आकार हर दिन बदलता है और वे पूर्ण पूर्णिमा पर और अपूर्ण अमावस्या पर होते है .
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Conclusion (निष्कर्ष )
तो दोस्तों इस आर्टिकल में आपने जाना (Ganesh Ji Ka Chandrma Ko Shraap Story ) . इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कभी भी किसी भी दशा में किसी अन्य का मजाक नही उड़ाना चाहिए क्योकि इससे सामने वाले को तकलीफ होती है और उसकी बद्दुआ निकलती है .
आशा करता हूँ यह आर्टिकल आपको अच्छा लगा होगा .
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