गणेश लक्ष्मी की पूजा एक साथ क्यों होती है
Kyo Ganesh Aur Lakshmi Ji Ki Puja Sath Ki Jati Hai . आपने दिवाली पर लक्ष्मी जी के साथ गणेश का पूजन किया होगा | पर आपने कभी सोचा है की विष्णु जी की जगह पर गणेश जी का लक्ष्मी के साथ पूजा क्यों की जाती है ?
जब मंदिरों में राधे कृष्णा , शिव पार्वती , सीता राम की साथ साथ पूजा होती है तो फिर दिवाली के दिन गणेश लक्ष्मी की पूजा का विधान क्यों है |
हम सभी जानते है की गणेश जी को सभी धार्मिक कार्यो में सबसे पहले पूजे जाने का वरदान प्राप्त है | इसके अलावा यह बुद्धि के देवता और वे विघ्न विनाशक है | यदि दूर्वा से गणेश पूजा करे तो यह जल्द प्रसन्न होते है | किसी व्यक्ति को लक्ष्मी जी की पूजा से धन तो प्राप्त हो जाये पर उसमे बुद्धि ना रहे तो यह धन उसके लिए किसी काम का नहीं है अत: धन के साथ बुद्धि भी जरुरी है जो लक्ष्मी और गणेश पूजन से ही संभव है |
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लक्ष्मी गणेश पूजन के पीछे एक किवदंती है :
एक बार एक वैरागी साधु को धन सम्पदा से परिपूर्ण जीवन जीने की इच्छा हुई | अपनी इसी कामना को पूर्ण करने के लिए उसने लक्ष्मी जी की नित्य दिन आराधना करना शुरू कर दिया | लक्ष्मी जी उसकी पूजा से प्रसन्न होकर उसे उच्च पद और धन सम्पदा से पूर्ण कर दिया | यह सम्मान पाकर साधु में अहम आ गया है | एक दिन वो अपने राज्य के राजा के दरबार में जाकर उनके मुकुट को उनके सिर से निचे गिरा दिया |
यह कुकर्म और राजा के ऐसा अपमान देख कर सैनिको ने उन्हें पकड़ लिया | तभी उस गिरे हुए मुकुट में से एक नाग निकलकर भागने लगा | सारे दरबार को साधू का यह कृत्य राजा को उस नाग से बचाने के लिए लगा | वे सभी साधु को और अधिक सम्मान देने लगे | राजा ने उसे अपने राज्य का मंत्री बनाकर राजमहल में रहने दिया | साधु की जय जयकार होने लगी |
एक दिन राजा दरबार में बैठे हुए थे | तभी साधु ने उनका हाथ पकड़ा और दरबार से ले गये | सभी दरबारी पीछे पीछे भागने लगे | थोड़ी देर बाद दरबार की छत गिर गयी | फिर सभी को यही लगा की साधु ने फिर चमत्कारी ढंग से उन सभी की जान बचाई है |
अब तो सब उन्हें ईश्वर तुल्य मानने लगे | साधु का अहंकार अब चरम पर आ पंहुचा था |
एक दिन इस अन्धकार में अंधे होकर उन्होंने महल में एक गणेश जी की मूर्ति को हटवा दिया | उन्होंने बुद्दी के विहीन होकर यह कह दिया की इस मूर्ति के कारण महल की रौनक ख़राब हो रही है |
बस उनका ऐसा करना गणेश जी को नाराज कर गया | गणेशजी ने उस साधु की बुद्दी फेर दी | अब साधु जो भी करता गलत ही करता | साधु के कर्मो को देखकर राजा ने उने कैद करवा दिया |
साधु अब जेल में फिर से लक्ष्मी जी की पूजा करने लगा | तब लक्ष्मी ने प्रसन्न होकर बताया की तुमने गणेश जी को नाराज किया है | इसलिए तुम अच्छी बुद्दी के लिए गणेश जी की पूजा करो | साधु ने बताये अनुसार अब गणेश जी की पूजा की और और बुद्दी के देवता ने उनकी भूल को माफ़ कर दिया |
उसी रात राजा को सपने में गणेश जी ने दर्शन दिए और उन्हें आदेश दिया की साधु को जेल से मुक्त कर दे | अगले दिन साधु को फिर से वही सम्मान प्राप्त हुआ | अब वो जान गया की धन की साथ बुद्दी भी बहुत जरुरी है |
इस प्रकार दीपावली की रात्रि में लक्ष्मीजी के साथ गणेशजी की भी आराधना की जाती है।
Conclusion (निष्कर्ष )
इस कहानी के माध्यम से आपना जाना कि क्यों गणेश जी और लक्ष्मी जी की पूजा एक साथ की जाती है . जहाँ लक्ष्मी जी धन की देवी है वही गणेश जी को बुद्धि का देवता कहा गया है . जब व्यक्ति के पास दोनों धन और बुद्धि रहती है तो धन का सदुपयोग होता है . यही कारण है कि दोनों देवी देवताओ की कृपा प्राप्ति के लिए गणेश और लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है . साथ ही गणेश जी प्रथम पूज्य देवता भी कहलाते है जिनकी पूजा सबसे पहले करने का विधान है .
आशा करता हूँ यह आर्टिकल आपको अच्छा लगा होगा .
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