क्या है भगवान शिव का त्रिनेत्र का राज ?
Why lord shiva has third eye ? what significant about third eyes of shiva ?
भगवान शिव जिन्हें हम भोलेनाथ , त्रिकालदर्शी भी कहते है , त्रिनेत्र धारी है | पुरानो से ज्ञात होता है कि यह त्रिनेत्र उनके मस्तिष्क पर ठीक नाक के ऊपर है जो शिव के अति प्रचंड होने पर खुलता है |
शिव पुराण में आई कथा के अनुसार जब माँ सती ने अपने पिता के घर यज्ञ कुण्ड में स्वयं को स्वाहा कर लिया था तब शिव ने अत्यंत गुस्से में अपना त्रिनेत्र खोला था | तब यह समस्त ब्रहमांड खतरे में आ गया था | इसी प्रकार एक बार प्रेम के देवता कामदेव ने जब अपने तप में लीन शिव जी की तपस्या को भंग किया तब शिव ने त्रिनेत्र की अग्नि से कामदेव को अपना जीवन खोना पड़ा था |
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त्रिनेत्र है ज्ञान चक्षु जो मिला है घोर तप से
हम सभी यह भली भाती जानते है कि महादेव घोर तपस्वी है जो ज्यादातर समय कैलाश पर्वत पर अपनी तपस्या में लीन रहते है | शिव जी ने त्रिपुंड तिलक धारण कर रखा है . तप से आंतिरिक शक्तियां जाग्रत होती है और महायोगी शिव से बड़ा तप इस समस्त ब्रह्माण्ड में कौन कर सकता है | अपनी महा तपस्या से शिवजी ने अपने त्रिनेत्र को जाग्रत कर लिया है जिससे वो त्रिकालदर्शी है | इन्हे भूत , वर्तमान और भविष्य काल का कुछ भी छिपा नही है |
त्रिनेत्र करता है त्रि शक्ति को इंगित
त्रिनेत्र त्रि शक्ति को दर्शाता है | यह सत्व रज और तम रूप में भी है तो काल के तीन रूप भूत , वर्तमान और भविष्य के रूप में भी | कुछ विद्वानों का मानना है कि यह त्रिनेत्र स्वयं ब्रह्मा विष्णु और महेश त्रि शक्ति का घोतक है | हालाकि तीनो महा देवो में सिर्फ भगवान शिव ही त्रिलोचन है |
विज्ञानं और योग के अनुसार क्या है तीसरी आँख का रहस्य
जहा भगवान शिव की तीसरी आँख है वो स्थान पीनियल ग्लेंड कहलाता है | यह ग्रंथि ऐसे हार्मोन्स को स्त्रावित करती है जो सोने और जगाने में सहायक है | यह दिव्य शक्तियों से उक्त स्थान है जिसे यदि कोई जाग्रत कर दे तो वो बंद आँखों से भी बहुत कुछ देख सकता है | हिन्दू धर्म में इस जगह तिलक करने की परम्परा है | तिलक लगाने का महत्व इस स्थान पर इसलिए है जिससे कि आप उर्जावान बन सके |
किन देवताओ के तीन आँखे
माँ काली , काल भैरव के तीन आँखे बताई गयी है . चुकी भैरव और माँ काली शिव जी से जुड़ी है और उनकी ही शक्ति है अत: इनके भी त्रिनेत्र है .
शिव की तीसरी आँख खुल जाये तो
शास्त्रों में बताया गया है कि जब जब शिव जी ने क्रोध में आकर अपनी तीसरी आँख खोली है तब इस ब्रहमांड में तबाही आई है . जब शिव जी को पता चला था की दक्ष प्रजापति के यज्ञ वेदी में उनकी पत्नी ने खुद का आत्म दाह कर लिया है तब शिव जी की तीसरी आँख खुली थी और सम्पूर्ण जगत त्राहिमान त्राहिमान करने लग गया .
दूसरी बार शिव जी ने जब सती के वियोग में घोर तपस्या में थे तब देवताओ के कहने पर कामदेव और उनकी पत्नी ने शिव जी की तपस्या भंग की और फिर शिव के त्रिनेत्र की ज्वाला से वे भस्म हो गये .
इस तरह आपने देखा कि जब शिव जी ने अपनी तीसरी आँख खोली है तो तबाई आई है .
सारांश
- भगवान शिव का त्रिनेत्र किस चीजे को बताया था . साथ ही हमने जाना कि त्रिनेत्र में कौनसी शक्ति समाहित है . आशा करता हूँ की आपको यह पोस्ट जरुर अच्छी लगी होगी .
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