क्यों भगवान शिव लगाते है अपने शरीर पर भस्म

Bhagwan Shiv Or Bhasam . भगवान शिव जितने भोले है उतना ही उनकी लीलाओ को समझ पाना कठिन है | वे सभी देवताओ से बिलकुल अलग है | जो चीजे हमें निर्थक लगती है वे उन्हें भी पसंद करते है | भांग धतुरा आक के पुष्प से ही ये प्रसन्न हो जाते है | शिवजी की पूजा में भस्म को भी काम में लिया जाता है | सिर्फ इन्हे ही यह भस्म क्यों चढ़ाई जाती है , आज हम इस आलेख से जानेंगे |

shiv or bhasm aarti


क्या होती है भस्म की महिमा :

भस्म वो राख होती है जो किसी लकड़ी , गोबर के कंडे या किसी मृत शरीर को जलाने के बाद बचती है | भगवान शिव का एक रूप काल भैरव का है जिन्हें श्मसान वासी भी बताया जाता है | काशी विश्वनाथ की नगरी काशी में गंगा के किनारे पर मणिकर्णिका घाट के पास ही बाबा मशाननाथ का मंदिर है जो होली पर भी जलती चिताओ की राख से होली खेलते है |

शिव पार्वती  विवाह में उड़ी थी भस्म 

दुनिया की सबसे अनोखी बारात जिसमे नंदी (शिव वाहन नान्देश्वर ) पर विराजे थे शिव और बारातियों में भूत प्रेत असुर , देव दानव सभी शामिल थे . दक्ष प्रजापति की पुत्री पार्वती संग विवाह रचाने महा शिवरात्रि की रात को भोले बाबा चल पड़े थे . भूत प्रेत भस्म उड़ाते हुए नाच कूद कर रहे थे . औगढ़बाबा की जय जयकार से सभी दिशाए गुंजायमान हो गयी थी . दुनिया में ऐसी डरावनी और रहस्मय बारात कभी देखी नही गयी थी . 

क्यों भस्म लगाना पसंद करते है भगवान शिव

हिन्दू धर्म में व्यक्ति के मरने के बाद उसके मृत शरीर को अग्निदेव को समर्प्रित कर दिया जाता है | अग्नि के बीच उसकी चिता जलाकर सिर्फ राख (भस्म ) ही प्राप्त होती है | ये राख या भस्म ही जीवन का अंतिम सार है | भगवान शिव संहार के देवता है | भस्म इस संहार को ही बताती है | अत: शिव ही सम्पूर्ण संसार की मंजिल और मुकाम है | यही कारण है की शिव को भस्म प्रिय है और उन्हें यह चढ़ाई जाती है | उज्जैन नगरी में ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में हर दिन सुबह भस्म आरती से पूजा की जाती है |

shiv और भस्म आरती


सबसे पहले किसकी भस्म लगाई शिव ने

कैसे चली शिवजी को भस्म लगाने की परम्परा ? इसके लिए एक प्रसंग शिव महापुराण में आता है |

शिव पुराण की कथा के अनुसार जब दक्ष प्रजापति के हवन कुंड में माँ सती खुद गयी थी तब शिवजी उनके जलते शरीर को लेकर इधर उधर भटकने लगे | विष्णु भगवान ने इस अवस्था से शिवजी को निकालने के लिए माँ सती के शरीर के सुदर्शन चक्र से टुकड़े कर दिए | ये जहा जहा गिरे शक्तिपीठ कहलाये | अंत में भगवान शिव के हाथो में उनकी पत्नी की राख (भस्म ) ही बची | शिव ने इसे उनकी आखरी निशानी को अपने शरीर पर मल लिया | तभी से भस्म शिव को अर्पित किया जाता है |

  1. क्यों शिव जी की आरती में भस्म काम ले ली जाती है . भस्म से क्यों करते है शिवजी अपना श्रंगार .   आशा करता हूँ की आपको यह पोस्ट जरुर अच्छी लगी होगी . 

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