मौली रक्षा सूत्र बांधने के पीछे के कारण और लाभ
हिन्दू धर्म में धार्मिक कार्यों में मौली ( कलावा) क्यों बांधते हैं? क्या आपने कभी सोचा है | यदि नही तो आज आपको हम मौली (रक्षा सूत्र ) को बांधने के कारण और लाभ बताने वाले है |
मौली बांधना जिसे रक्षा सूत्र (Raksha Sutra) भी कहते है , हर धार्मिक कार्य या पूजा के आरम्भ में तिलक के साथ यह अनिवार्य माना जाता है | इस प्रथा का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व दोनों है |
बात करे धार्मिक महत्व की तो जब भी मोली बांधी जाती है तब ज्ञानी पंडित इस मंत्र का उच्चारण करते है |
रक्षा सूत्र बांधने का मंत्र
येन बद्धो बलीराजा दावेंद्रो महाबलः !
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे माचल माचल !!
इस मंत्र का आशय है की दानवों के महाबली राजा बलि जिससे बांधे गए थे, उसी से तुम्हें बांधता हूं. हे रक्षे (रक्षा के सूत्र) तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो.
शास्त्रों के अनुसार यह रक्षा सूत्र बांधने की परम्परा महान दानवीर महाराज बलि के समय से चली जब भगवान वामन ने उनकी रक्षा के लिए उनके हाथ पर यह रक्षा सूत्र बांधा था |
इसी तरह इस प्रथा को इंद्राणी शची ने देवराज इन्द्र की दाई भुजा पर रक्षा सूत्र के रूप में मोली बांधकर वृत्रासुर से युद्ध करने के लिए विदा किया था | इस रक्षा सूत्र के प्रभाव से इंद्र विजयी हुए |
मौली बांधने के फायदे
मोली का बांधना शरीर में वात पित्त और कफ का संतुलन बना रहता है और शरीर स्वस्थ रहता है |
डायबीटिज , ब्लड प्रेशर, लकवा और हार्ट अटैक जैसे रोगों में मौली बांधना लाभकारी होता है |
इसके साथ ही यदि किसी यजमान के मोली बंधी हुई है और वो किसी अनुष्ठान में पूजन कर रहा हो तो सूतक का दोष लगने पर भी यह रक्षा सूत्र उस अनुष्ठान से बाधा टल जाती है |
व्यापार और घर में भी वस्तुओ पर रक्षा सूत्र का प्रयोग
नए वाहन , नए सामान , व्यापार में कलम, बही खाते, तिजोरी , पूजन साम्रग्री आदि पर मौली बांधना शुभता और लाभ का प्रतीक माना जाता है | व्यापार में अच्छे लाभ के लिए , वाहन की सुरक्षा के लिए मौली बांधी जाती है |
मौली से जुड़े कुछ नियम
- बांधने की जगह :- पुरुषों तथा अविवाहित कन्याओं के दाई कलाई में तथा विवाहित महिलाओं के बाई कलाई में मौली बांधा जाता है.
- कलावा कितनी बार लपेटे :- कलावा कलाई पर मुख्य तीन बार लपेटा जाता है . जिस देव देवी के निर्मित आप इसे बंधा रहे है उनका ध्यान करे .
- हाथ में क्या ले : मौली बंधाते समय हाथ में चावल रखके मुट्ठी बांधना और साथ में दूसरा हाथ सिर पर रखे |
- मौली कब खोले : मौली यानी की कलावा खोलने का सही समय अमावस्या या फिर सूतक और ग्रहण काल के बाद खोल देनी चाहिए .
- खोली हुई मौली का क्या करे : कलावा उतारने के बाद उसे गलत या गन्दी जगह ना डाले , उसे आप पीपल के पेड़ के निचे रख दे या फिर बहते साफ़ नही के पानी में बहा दे .
सारांश
- तो दोस्तों इस आर्टिकल में आपने जाना की रक्षा सूत्र यानी की मौली क्यों कलाई पर बांधी जाती है और इससे क्या लाभ होता है . रक्षा सूत्र बांधते समय कौनसे मंत्र बोले जाते है और इससे जुड़े मुख्य नियम क्या है . आशा करता हूँ कि आपको यह पोस्ट अच्छी लगी होगी .
Post a Comment