शिव के गले में लिपटे नाग वासुकी से जुडी यह बाते आपको नही पता होगी
Naag Vasuki Se Judi Kuch Rochak Baate नागो को पुराने समय से ही हिन्दू धर्म में पूजनीय जीव माना गया है | नागो को पूजने के लिए नाग पंचमी पर्व के बारे में आप जानते ही होंगे | भगवान विष्णु की शैय्या पर नाग है तो शिवजी के गहने नाग है | आज हम बात कर रहे है शिव शंकर के गले से लिपटे नाग वासुकी के बारे में |
भगवान शिव समस्त संसार में सबसे भिन्न है | यह साधना में लीन रहने वाले सादा जीवन मूल्यों पर निर्वाह करने वाले महादेव है | इन्हे सोने ,चांदी का कोई मोह नही है | शिव शंकर तो भस्म , रुद्राक्ष और नागो से ही अपना श्रंगार करते है | शिवजी के मस्तिष्क पर चंद्रमा विराजित है |
इनके गले में जो नाग शोभायमान है उसका नाम वासुकी (Vasuki Naag ) है | यह वही नाग है जो देवताओ और दानवों के बीच हुए समुन्द्र मंथन में मंदराचल पर्वत पर लपेटा गया है | रस्सी की तरह एक तरफ देवताओ द्वारा तो दूसरी तरफ दानवो द्वारा खीचे जाने पर और मंदराचल पर्वत की रगड़ से इस नाग का शरीर लहू लुहान हो गया था | इस महान कार्य को सम्पन्नता दिलवाने के कारण यह शिवजी के गले में शोभायमान रहता है |
कृष्ण की की ही रक्षा
भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा की एक जेल में हुआ था | अपने पुत्र को कंस से बचाने के लिए वसुदेव जी को इन्हे यमुना पार करके नंदगांव जाने लगे | उस समय यमुना का प्रवाह अत्यंत तेज था और अँधेरी रात में तेज वर्षा हो रही थी |
वसुदेव ने टोकरी में कृष्ण को रखकर अपने सिर पर टोकरी को विराजमान कर लिया और यमुना को पार करने लगे | कृष्ण के पैर जैसे ही यमुना नदी के जल को लगे , यमुना नदी का प्रवाह कम हो गया | वर्षा से कान्हा का बचाव करने के लिए तब वासुकी नाग ने अपने फन फैला कर कृष्ण की रक्षा की थी |
कौन थे वासुकी नाग , जाने कहानी
पुराणों में जिक्र आता है की पहले नाग लोक हुआ करता था | उनमे अलग अलग तरह के शक्तिशाली नाग राजा हुआ करते थे | भीम का विवाह भी एक नाग कन्या के साथ हुआ था | ऐसा ही एक वासुकी नाग शिव का अत्यंत भक्त था | यह प्रजापति कश्यप और रुद्रु के नाग पुत्र थे | इन्हे नागो ने नागराज का पद प्राप्त है | उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर शिव ने उसे अपने गण में शामिल कर लिया और हमेशा के लिए अपने गले में विराजित होने का वरदान दे दिया | इस नाग के पास अनमोल नागमणि भी है |
काशी में वासुकी नाग का मंदिर
शिव की नगरी काशी में एक मंदिर नाग वासुकी के नाम से प्रसिद्ध है | मान्यता है की सच्चे मन से इस मंदिर में की गयी पूजा से कालसर्प दोष दूर होता है | यहा नागपंचमी के दिन विशेष उत्सव मनाया जाता है .
प्रयागराज में भी वासुकी नाग का मंदिर
नागपंचमी के दिन यहा भी विशेष पूजा अर्चना करने लाखो भक्त आते है . यहा काले पत्थर के पांच फनो वाले वासुकी की प्रतिमा है . पशुपतिनाथ शिव के इस विशेष श्रंगार वासुकी की धूम धाम से पूजा की जाती है .
सारांश
- शिव के गले में सुशोभित नाग वासुकी की क्या कहानी है , क्यों शिव ने इसे अपने गले में हमेशा के लिए बसा रखा है . पूर्व जन्म में कौन थे वासुकी नाग और जानते है वासुकी से जुडी रोचक बाते .
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