उज्जैन की जीवनदायिनी नदी शिप्रा
Shipra River of Ujjain in Hindi मुख्यत: उज्जैन (अवंतिका नगरी ) में बहने वाली नदी शिप्रा उनके लिए जीवन दायिनी है | उन्हें दैनिक उपयोग का जल यही नदी सुलभ कराती है |
शिप्रा नदी गंगा यमुना सरस्वती की तरह पवित्र और महिमा वाली नदी है | हर 12 साल में इसके तट पर कुम्भ मेले का आयोजन उज्जैन में होता है | इस नदी के तट पर कई मंदिर और घाट बने हुए है | मुख्य घाटो में राम घाट , मंगलनाथ घाट , त्रिवेणी घाट , नरसिंह घाट और सिद्धनाथ घाट प्रमुख है |
शिप्रा नदी का उद्गम स्थल :
उज्जैन की शिप्रा नदी का उद्गम स्थल मध्यप्रदेश के महू छावनी से लगभग 17 किलोमीटर दूर जानापाव की पहाडिय़ों से माना गया है. यही जन्म स्थान विष्णु के अवतार भगवान परशुराम जी का बताया गया है .
कैसे उत्पन्न हुई माँ शिप्रा :
Shipra River Hindi Story . इस नदी की उत्पत्ति के पीछे एक पौराणिक कथा है | कहते है एक बार भगवान शिव विष्णु जी के पास ब्रह्म कपाल लेकर भिक्षा मांगने गये | भगवान विष्णु ने भिक्षा देते समय उन्हें अपनी ऊँगली दिखा दी जिससे रूद्र शिव क्रोधित हो गये और अपने त्रिशूल से उन्होंने उनकी उस ऊँगली को काट दिया |
कटी हुई ऊँगली से रक्त प्रवाह हुआ और वे बुँदे उज्जैन के पास गिरी जिससे शिप्रा नदी बनी | प्राचीनकाल में इसकी धार बहुत तेज थी इसी कारण इसका नाम शिप्रा रखा गया |
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सिंहस्थ कुम्भ मेला :
पौराणिक कथा समुन्द्र मंथन के दौहरान यहा भी कुछ बुँदे अमृत की गिरी थी और इसी कारण यहा भी कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता है | करोडों श्रध्दालु स्नान करने देश विदेश से माँ शिप्रा के किनारे आते है | स्कन्द पुराण में भी इस नदी की महिमा का वर्णन किया गया है जो की चम्बल में मिल जाती है | उज्जैन में अगला कुम्भ मेला 2028 में भरेगा इससे पहले यह 2016 में लगा था .
ज्ञान और तपस्या की स्थली है शिप्रा :
इसी नदी की किनारे सांदीपनी आश्रम में भगवान श्री कृष्णा ने अपने भाई बलराम और सखा सुदामा के साथ ज्ञान अर्जित किया था | गुरु गोरखनाथ और राजा भर्तृहरि की यह तपो भूमि रही है |
प्रसिद्ध मंदिर बसे है किनारे
इस नदी का धार्मिक और पौराणिक महत्व अत्यंत है .
शिप्रा नदी के किनारे किनारे आपको बहुत से प्रसिद्ध मंदिर उज्जैन में मिल जायेंगे . इसमे मदिरा पान पान करने वाले काल भैरव का मंदिर , भूखी माता का मंदिर आदि है .
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सारांश
- उज्जैन नदी की मोक्षदायिनी शिप्रा नदी का पौराणिक और धार्मिक महत्व क्या है . कैसे यह नदी भगवान विष्णु से उत्पन्न हुई है , इस नदी को क्यों पवित्र माना जाता है आशा करते है कि आपको यह पोस्ट बहुत अच्छी लगी होगी .
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