सूर्य मंदिर कोणार्क उड़ीसा की महिमा
Sury Mandir Konark Temple History Story in Hindi .
सूर्य देवता को समर्पित सूर्य मंदिर कोणार्क उड़ीसा राज्य के पवित्र शहर पुरी के पास स्थित है । इस मंदिर का निर्माण राजा नरसिंह देव ने 13वीं शताब्दी में करवाया था। यह भव्य सूर्य देवता के मंदिरों में सबसे ऊपर है | मंदिर लाल बलुआ और ग्रेनाईट के पत्थरो से बना है | यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर में शामिल भी किया है , हालाकि कोणार्क सूर्य मंदिर (Konark Surya Mandir in Hindi ) का बहुत सा भाग ध्वस्त हो चूका है |
क्यों पड़ा नाम सूर्य मंदिर कोणार्क ?
कोण का अर्थ है किनारा और अर्क का अर्थ है सूर्य | यह मंदिर पूरी के उत्तर पूर्वी समुन्द्र तट पर है अत: इस कारण इसका नाम कोणार्क पड़ा |
समय के चलने की बात कहता है यह मंदिर :
कोणार्क सूर्य मंदिर के पूर्व दिशा में सात घोड़े सप्ताह के सात दिन को दर्शाते है | 12 जोड़ी पहिये 12 माह को और हर पहिये में 8 तीलिया आठ पहरों को बताती है | सूर्य की गति पर समय निर्भर रहता है | यह इस सूर्य मंदिर की सबसे मुख्य बात है |
कोणार्क सूर्य मंदिर का इतिहास | Konark Sun Temple History In Hindi
इस सूर्य मंदिर को भारत के प्राचीनकालीन और एतिहासिक मंदिरों में गिना जाता है जो भारत की संस्कृति और धरोहर को दर्शाता है . यह मंदिर बताता है की वैदिक काल से भगवान सूर्य की पूजा अर्चना के लिए मंदिर का निर्माण भारत में राजाओ द्वारा किया जाता था . कोणार्क सूर्य मंदिर को गंगा राजवंश के प्रसिद्ध शासक राजा नरसिम्हादेव ने 1243-1255 ईसवी के बीच करीब 1200 मजदूरों की सहायता से बनवाया था. आपको बता दें कि इस विशाल और भव्य मंदिर की नक्काशी करने और इसे सुंदर रुप देने में करीब 12 साल का लंबा समय लग गया था। हालाकि आज इसे बने 1000 साल से भी ज्यादा हो गये है तो आप समझ सकते है कि यह कितनी प्रकृति की मार झेल चूका होगा .
कैसा दिखता है सूर्य मंदिर कोणार्क :
मंदिर के प्रवेश द्वार पर दोनों तरफ दो सिंह की भव्य पत्थर की प्रतिमा है | पूरा मंदिर सूर्य भगवान के रथ के आकार में बड़ा ही सुन्दर बना हुआ है | मंदिर में तीन प्रवेश करने के द्वार है जो बहुत ऊँचे और भव्य है | इनके नाम है जगमोहन मंडप , नट द्वार और गर्भगृह | मंदिर की दीवारों पर सुन्दरतम वास्तुकला और अनुपम चित्रकारी दिखाई देती है |
बड़े बड़े जहाजो को खीच लेता था कोणार्क का चुंबक :
ऐसा बताया जाता है की मंदिर के ऊपर एक भारी और शक्तिशाली चुंबक लगा हुआ था जो दूर से आने जाने वाले पानी के जहाजो को खीच लेता था | इस चुबंक को विदेशी नाविक अपने साथ ले गये |
मुख्य मूर्ति है पुरी में :
कोणार्क सूर्य मंदिर में रखी मुख्य प्रतिमा आज भी पुरी में सुरक्षित है | 15वी शताब्दी में मुस्लिम शासको ने इस मंदिर को नुकसान पहुचाने आये तब पंडितो ने इस मंदिर की मुख्य प्रतिमा को जगन्नाथ पुरी में सुरक्षित भेज दिया | मंदिर को काफी नुकसान पहुँचाया गया | साल दर साल यह मंदिर रेत के अन्दर समा गया | ब्रिटिश काल में इसे पुनः खोजा गया और रेत हटाई गयी |
कब जाना चाहिए ?
कोणार्क की यात्रा बारिश के मौसम को छोड़कर आप कभी भी कर सकते है | वर्षा के समय आवागमन में इस जगह आने में मुसीबतों का सामना करना पड़ता है |
कोणार्क सूर्य मंदिर कैसे पहुंचे :How to Reach Konark Temple
उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर से कोणार्क बस 65 किमी की दुरी पर है | भुवनेश्वर अच्छे से वायुमार्ग रेलमार्ग और सड़क मार्ग द्वारा बाकि शहरो से जुडा हुआ है | आप भुवनेश्वर से बस कार द्वारा कोणार्क सूर्य मंदिर की यात्रा कर सकते है |
वायु मार्ग - कोणार्क के सबसे नजदीकी एयर पोर्ट है भुवनेश्वर .
रेल मार्ग - ट्रेन द्वारा आप पूरी तक आ सकते है जो सिर्फ 35 किमी की दुरी पर है . दूसरा आप भुवनेश्वर आ जाये जहाँ से आपको 65 किमी की यात्रा करके कोणार्क सूर्य मंदिर आना पड़ेगा .
रुकने की व्यवस्था :
सूर्य मंदिर कोणार्क के पास ठहरने की इतनी अच्छी व्यवस्था नही है | आपको भुवनेश्वर और पूरी में ही अच्छे से होटल धर्मशालाए मिल जाएगी | आप मंदिर दर्शन के बाद भुवनेश्वर आकर ही रुके |
कोणार्क मंदिर तक आने के लिए दोनों शहरों से (भुवनेश्वर और पूरी) से आपको डीलक्स और अच्छी बसे मिल जाएगी . आप चाहे तो कार बुक करके भी अपने परिवार सहित यहा आ सकते है .
सारांश
- तो दोस्तों सूर्य मंदिर कोणार्क (Konark Surya Mandir in Hindi ) से जुड़ी रोचक जानकारी में आपने जाना इस मंदिर का इतिहास , चमत्कार और कैसे जाये कोणार्क सूर्य मंदिर . आशा करता हूँ कि आपको यह पोस्ट अच्छी लगी होगी .
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