यमराज धर्मराज कौन है और जाने इनसे जुड़ी रोचक बाते
कौन है यमराज ? क्यों इन्हे धर्मराज कहा जाता है
Yamraj Dharmraj Ki Kahani हिन्दू धर्म में यमराज को मृत्यु का देवता बताया गया है | इनका कार्य शायद आपको बुरा लगे पर इन्ही के कारण इस धरती का संतुलन बना रहता है | यह दण्डधर है जो व्यक्ति को मृत्यु के बाद उसके कर्मो के अनुसार सजा देते है | यदि व्यक्ति के कर्म अच्छे होंगे तो अच्छे फल और बुरे कर्मो के बुरे फल देने वाले है | इसी कारण इन्हे धर्मराज भी कहा जाता है |
इस आर्टिकल में हम यमराज से जुड़ी रोचक बाते और उनके परिवार के बारे में जानेंगे साथ ही आपको बताएँगे कि कैसे यह यमराज बने .
यमराज का परिवार और रूप
यम के पिता भगवान सूर्यदेव और इनकी माता का नाम संज्ञा है | इनकी बहिन नदी यमुना और भाई शनिदेव है | इनका वाहन भैंसा और संदेशवाहक के रूप में उल्लू और कौवा है | इनके हाथ में गदा है | इनके मुकुट पर भैंसे के सिंह लगे हुए है |
कर्मो के अनुसार देते है आत्मा को आगे का लोक :
यह अपने सहायक चित्रगुप्त के साथ मिलकर मरने वाले प्राणी को उसके अच्छे और बुरे कर्मो के अनुसार आगे का स्वर्ग या नरक लोक प्रदान करते है | यदि कर्म बुरे होंगे तो नरक की आग में तपना होगा और यदि कर्म अच्छे हुए तो स्वर्ग के सुख पाने होने | यह वेद व्यास जी द्वारा रचित गरुड़ पुराण में विस्तृत बताया गया है |
एक श्राप के कारण , यमराज को भी लेना पड़ा था मनुष्य का जन्म
ग्रंथों के अनुसार, मनुष्य की आयु पूरी होने के बाद उसे मृत्यु के देवता यमराज और उनके दूत अपने साथ ले जाते है पर उसके कर्मो के अनुसार उसे अच्छा या बुरा फल देते है | पर एक कथा के अनुसार एक बार स्वयं यमराज को भी मनुष्य का जन्म लेकर धरती पर मनुष्य जीवन जीना पड़ा था | आइये जाने क्यों और किस श्राप के कारण यमराज को लेना पड़ा मानव जन्म
माण्डव्य ऋषि का यमराज को श्राप
एक समय माण्डव्य नाम के एक महा तपस्वी ऋषि हुए थे | वे कई सिद्धियों के धनि थे | उनके राज्य में एक बार उन्हें चोरी का दोषी माना गया और राजा ने उन्हें सूली पर लटकाने का आदेश दे दिया |
कई दिनों तक माण्डव्य ऋषि उस सूली पर लटके रहे पर उनके प्राण नही निकले | राजा को अहसास हुआ की ये ऋषि चोर नही हो सकते | वे बहुत दुखी हुए और ऋषि माण्डव्य से क्षमा मांगकर उन्हें छोड़ दिया |
सिद्ध ऋषि यमराज के लोक पहुंचे और अपने उस कर्म के बारे में पूछने लगे जिसके कारण उन्हें यह सजा मिली थी | तब यमराज ने उन्हें बताया की आप जब 12 वर्ष के थे तब उन्होंने छोटे जीवो को सताया था |
ऋषि माण्डव्य ने यमराज से कहा कि 12 वर्ष की उम्र में बच्चा नादान होता है और धर्म और अधर्म के ज्ञान से परे होता है | अत: आपने उस नादान बुद्धि में किये गये कर्म का बहुत ज्यादा दंड दिया है | ऋषि ने गुस्से में आकार यमराज को श्राप भी दे दिया की , उन्हें भी मनुष्य योनी में एक शुद्र के घर जन्म लेना पड़ेगा | ऋषि माण्डव्य के इसी श्राप के कारण यमराज ने महात्मा विदुर के रूप में जन्म लिया।
ऐसे हुई थी विदुर की मृत्यु
जब धृतराष्ट्र, गांधारी, कुंती व विदुर वानप्रस्थ आश्रम में रहते हुए कठोर तप कर रहे थे, तब एक दिन युधिष्ठिर सभी पांडवों के साथ उनसे मिलने पहुंचे। धृतराष्ट्र, गांधारी व कुंती के साथ जब युधिष्ठिर ने विदुर को नहीं देखा तो धृतराष्ट्र से उनके बारे में पूछा। धृतराष्ट्र ने बताया कि वे कठोर तप कर रहे हैं। तभी युधिष्ठिर को विदुर उसी ओर आते हुए दिखाई दिए, विदुर जी धर्मराज के अवतार थे और युधिष्ठिर में भी धर्मराज का अंश था | अत: युधिष्ठिर के सामने विदुर जी ने अपनी देह का त्याग कर दिया और युधिष्ठिर की आत्मा में स्वयम की आत्मा को समाहित कर लिया |
यमराज को पूजने के दिन
क्या आप जानते है कि मनुष्य के प्राण हरने वाले यमराज के भी पूजा के कुछ दिवस है . हिन्दू धर्म में भाई दूज का पर्व सूर्य पुत्र यमराज और उनकी बहिन यमुना की पूजा से जुड़ा हुआ है .
इसके अलावा धनतेरस पर भी एक चार मुख का आटे का दीपक यमराज के लिए जलाकर अकाल मृत्यु से बचने की विनती की जाती है .
सारांश
- तो दोस्तों इस आर्टिकल में आपने जाना कि धर्मराज और यमराज कौन है . क्यों धर्मराज को जरुरी बताया गया है . इनका परिवार क्या है और इनके जन्म की कथा क्या है . आशा करता हूँ कि आपको यह पोस्ट अच्छी लगी होगी .
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