क्यों चढाते है शिवलिंग पर जल दूध और बेलपत्र
Shivji Ki Pooja Me Belpatra Kyo Chadhate Hai . हम सभी जानते है की शिवजी की पूजा शिवलिंग के रूप में अर्धनारेश्वर के रूप में होती है और उनपे बेलपत्र (Belpatra) अर्पण किया जाता है और जल और दूध से अभिषेक किया जाता है |
कभी आपने इसके पीछे के कारण जाने है की क्यों शिवलिंग पर बेलपत्र और जल चढ़ाया जाता है | इसके अलावा शिवलिंग के अभिषेक में धतुरा और भांग भी चढ़ाई जाती है जिसका हम पहले आपको कारण बता चुके है .
इसके पीछे के कारण जानने के लिए पुराणों में एक प्रसंग है |
बेलपत्र और नीलकंठ महादेव की कथा
Shivling Pooja me Belpatra Chadhane Ki Kahani . हम सब जानते है एक बार देवताओ और दानवो ने सागर मंथन किया था जिसमे अच्छी और बुरी दोनों ही तरह ही चीजे निकलने लगी | उसी सागर मंथन में हालाहल नाम का विष भी निकला और उससे समस्त जगत विनाश की तरफ बढ़ने लगा | किसी में इतनी शक्ति नही थी की वो इस विष के जानलेवा प्रभाव को रोक सके |
तब भोले बाबा ही अकेले ऐसे थे जिनके सामने विष का प्रभाव समाप्त हो सकता है | भोले भंडारी ने सम्पूर्ण विष पी लिया और वह विष उनके कंठ में रह गया | इससे शिवजी का कंठ नीला हो गया | और उन्हें उनके भक्तो ने नीलकंठ महादेव का नाम दिया |
विष के प्रभाव से शिवजी का मस्तिष्क गर्म हो गया और वो व्याकुल हो गये | तब देवताओ ने उनके सर पर जल उड़लेना शुरू कर दिया और इससे शिवजी को आराम प्राप्त हुआ | शिवजी के सर की गर्मी तो दूर हो चुकी थी पर कंठ में जलन अभी भी हो रही थी उस विष के प्रभाव से |
अब देवताओ ने बेलपत्र शिवजी को खिलाना शुरू किया | बेलपत्र विष के प्रभाव को ख़त्म करता है | जल के साथ बेल पत्र विष के प्रभाव को कम करने लगा . इस तरह नीलकंठ महादेव को जल और बेलपत्र चढ़ाया जाता है | यह दोनों उस विष के दुष्प्रभाव को खत्म करके शांति देने वाले है |
तो इस तरह यह शिवजी की पूजा में अनोखी परम्परा शुरू हो गयी कि शिवलिंग पर अभिषेक करते समय बेल पत्र और जल जरुर चढ़ाना चाहिए .
शिवरात्रि कथा में भी एक प्रसंग है की शिवजी को क्यों बेल पत्र चढ़ाया जाता है :
शिवरात्रि की रात एक भील अपने घर नही जा सकता और वह एक बील के पेड पर ही रात बिताता है | उस दिन उसे भोजन भी नही मिल पाता है इसलिए उसे भूखा ही रहना पड़ता है . संयोग से उस पेड़ के नीचे एक शिवलिंग होता है | रात भर सोते जागते उसके हाथो से बार बार पूरी रात बिल पत्र गिरते रहे और शिवलिंग पर चढ़ते रहे | सुबह जब वो जगता है तो शिवजी प्रसन्न होकर उसे दर्शन देते है और उसे बताते है की किस तरह पूरी रात तुमने मुझे बिलपत्र चढ़ा कर प्रसन्न किया |
शिवजी उनके कल्याण का आशीष प्रदान करते है और तब से ही शिवजी को प्रसन्न करने के लिए बिलपत्र शिवजी को चढ़ाये जाते है |
विशेष दिनों पर ना तोड़े बेलपत्र
मित्रो शास्त्रों में कुछ ऐसे दिन बताये गये है जब आपको बेलपत्र को नही तोडना चाहिए . आप इन दिनों से पहले ही बेलपत्र को तोड़ कर रख ले . शास्त्रों के अनुसार ये दिन है सोमवार , अमावस्या , चतुर्थी , अष्टमी , नवमी और चतुर्दशी .
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सारांश
- तो दोस्तों इस आर्टिकल में आपने जाना की सावन के महीने में क्यों शिव पूजा की जाती है . सावन सोमवार के व्रत का क्या महत्व है . आशा करता हूँ कि आपको यह पोस्ट अच्छी लगी होगी .
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