शनि की दृष्टि से नही बच पाए भगवान शिव भी
Shanidev Shivji Story in Hindi .
शनिदेव निष्पक्ष दण्डाधिकारी है | चाहे देव हो या असुर मनुष्य हो या पशु सबको उनके कर्मो के आधार पर यह दण्ड देते है | आज हम आपको शास्त्रों से वो कहानी बताने वाले है जो बताती है कि कैसे शिवजी को भी शनि की वक्र दृष्टि से पीड़ा उठानी पड़ी थी .
भगवान शिव है इनके गुरु :
हिन्दू शास्त्रों में देखने पर पता चलता है स्वयं भगवान शिव ही शनिदेव के गुरु है | उनके आशीष से ही यम के भाई शनि को दण्डाधिकारी चुना गया है | शनि देव अपने पिता सूर्य देव से बदला लेने के लिए ही शिवजी की घोर तपस्या की थी .
एक बार शिव को भी नही छोड़ा शनि ने :
कैलाश पर्वत पर एक दिन शिवजी विराजमान थे तभी शनिदेव उनके दर्शन करने आ गये | अपने गुरु को प्रणाम करके शनिदेव ने बताया की महादेव मुझे क्षमा करे कल मैं आपकी राशि में प्रवेश करने वाला हूँ और मेरी वक्र दृष्टि से आप बच नही पाएंगे |
शिवजी जानकर हैरान हो गये की उनका शिष्य अपने कर्म को करने में उन्हें भी नही छोड़ रहा | शिव जी ने शनिदेव से बोले की कितने समय तक उनके शनिदेव की वक्र दृष्टि का सामना करना पड़ेगा |
तब शनिदेव बोले की उनकी दृष्टि कल सवा पहर तक रहेगी |
अगले दिन चिंतित महादेव सुबह ही धरती लोक पर चले गये और शनि से बचने के लिए हाथी का वेश बनाकर इधर उधर छिपते रहे | जब दिन ढला गया तो पुनः शिव वेश में कैलाश आ गये | शिवजी मन ही मन खुश हो रहे थे की उन्होंने आज शनिदेव को अच्छे से चकमा दे दिया |
शाम को शनि देव उनसे पुनः मिलने कैलाश आये | शिवजी ने शनिदेव से कहा की आज आपकी वक्र दृष्टि से वो बच गये है | यह सुनकर शनि मुस्कुराये और बोले की यह मेरी ही दृष्टि का प्रभाव था की आज पुरे दिन आप हाथी बनकर धरती पर फिर रहे थे | आपको पशु योनी झेलनी पड़ी यह भी मेरा ही प्रभाव था | यह सुनकर महादेव को शनि और भी प्यारे लगने लगे और कैलाश पर शनि देव के जयकारे लगने लगे |
तो मित्रो इस कथा कहानी से आपने जाना कि शनि जब किसी राशि में प्रवेश करता है तो जातक को शनि के प्रभाव भोगने ही पड़ते है .
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