चमत्कारी निराई माता का मंदिर
Mystery of Nirai Mata Temple Chhattisgarh भारत में कई मंदिर अपनी अपनी कहानी और परम्परा के कारण जाने जाते है जो उन्हें दुसरे मंदिरों से अलग बनाते है . आज हम जिस चमत्कारी मंदिर की बात करने वाले है वो मंदिर माता का एक सिद्ध स्थान है . यहा नवरात्रि में अपने आप माता रानी की ज्योत बिना घी और तेल के जलती है जो 9 दिन अखंड जलती ही रहती है , साथ ही यह मंदिर सिर्फ कुछ घंटो के लिए सुबह खुलता है और फिर पुरे दिन बंद रहता है .
साथ ही यहा जो महिला श्रद्दालु दर्शन के लिए आती है , उनके लिए कुछ विशेष नियम बनाये गये है .
नवरात्रि के दिन माँ दुर्गा को समर्प्रित दिन होते है | इन दिनों में माँ अपने भक्तो के समक्ष कई चमत्कार दिखाती है
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कहाँ है निराई माता का मंदिर ?
यह मंदिर छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में निराई माता का है | माँ अपने भक्तो को दर्शन भी देती है वो भी महज 5 घंटे के लिए | सुबह 4 बजे से सुबह के 9 बजे तक | पहाड़ी पर बने इस मंदिर में नवरात्रि के पहले दिन चमत्कारी रूप से माँ की ज्योत जल उठती है और 9 दिन तक बिना घी तेल के यह अखंड जलती है | यह माँ का चमत्कार इस मंदिर के प्रति और भी भक्तो को आकर्षित करता है | आस पास में इस मंदिर के इस चमत्कार के चर्चे है .
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5 घंटे ही खुलता है यह मंदिर
इस मंदिर से जुड़ी एक दिलचस्प बात यह है कि यह निराई माता का मंदिर दर्शनों के लिए सिर्फ 5 घंटे ही खुलता है . वो भी सुबह सिर्फ़ 4 बजे से लेकर 9 बजे तक . उसके बाद यह मंदिर बंद हो जाता है . यही बात इन्हे दुसरे मंदिरों से अलग बनाती है . जहाँ दुसरे मंदिर 10 घंटे तक खुले रहते है वही यह मंदिर सिर्फ पांच घंटे ही खुलता है.
बिना तेल के नौ दिन जलती है ज्योत
इस चमत्कारी मंदिर से जुड़ी एक चमत्कारी बात यह है कि इस मंदिर में चैत्र नवरात्रि के दिनों में जलने वाली ज्योत स्वत: ही जलती है और उस ज्योति में किसी भी बाहरी तेल और घी को काम में नही लिया जाता है . नवरात्रि के 9 दिनों तक यह ज्योत अपने आप जलती है . आज तक लोग समझ नही पाए कि यह ज्योत बिना तेल और घी के अपने आप कैसे जलती है .
यही चमत्कार इस मंदिर को जाग्रत माता का पीठ स्थान बनाता है और हजारो भक्त माता की ज्योत के दर्शन करने आते है .
महिलाओ के लिए विशेष नियम
इस मंदिर में महिला और पुरुषो को लेकर काफी भेद भाव है . यहा महिला का मंदिर में प्रवेश वर्जित है . ना ही उन्हें मंदिर का प्रसाद खाने को दिया जाता है . सिर्फ पुरुष ही मंदिर में माता रानी के दर्शन कर सकते है .
निराई माता को चढ़ती है पशु बलि
इस मंदिर में आज भी नवरात्रि के दिनों में पशु बलि देने की परम्परा है . यहा मुख्य रूप से बकरे की बलि दी जाती है . नवरात्रि के दिनों में हजारो बकरे माता को बलि के रूप में भेंट किये जाते है . मान्यता है कि माता बकरे की बलि से प्रसन्न होती है .
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सारांश
- तो दोस्तों इस आर्टिकल में आपने जाना कि निराई माता का मंदिर क्यों सबसे अलग मंदिर माना जाता है . इस मंदिर से कौनसी मान्यता इसे अलग बनाती है . आशा करता हूँ कि आपको यह पोस्ट अच्छी लगी होगी .
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