नक्षत्र कितने होते है और उनका महत्व और प्रभाव क्या है
Kya Hote Hai Nakshtra in Jyotish Vigyan. ज्योतिष शास्त्र में किसी व्यक्ति के जीवन में आने वाले प्रभाव ग्रह नक्षत्रो पर निर्भर करता है . आपने बहुत से लोगो के मुंह से सुन रखा होगा कि मेरे तो ग्रह नक्षत्र ही खराब चले रहे है . ग्रह तो हम लोग जानते है पर साथ में जानना जरुरी है कि नक्षत्र क्या होता है .
कैसे नक्षत्र हमारे जीवन में अपना प्रभाव डालते है .
कहते है कि जब व्यक्ति का जन्म होता है तब उसके जन्म काल के समय से ही उसका जीवन नक्षत्र से प्रभावित हो जाता है . वो कौनसे नक्षत्र और ग्रह में जन्मा है . गलत नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति में कई दोष उत्पन्न हो जाते है , वही उल्टा जो अच्छे नक्षत्र में जन्म लेते वे आर्थिक , सामाजिक तरक्की करते है .
आज हम आपके लिए यह ज्योतिष शास्त्र से जुडी पोस्ट लाये है जिसमे हम बताएँगे की नक्षत्र क्या होते है और इनकी संख्या कितनी है |
चंद्रमा और नक्षत्र
विज्ञान के अनुसार चंद्रमा धरती के चारो तरफ चक्कर लगाता है . यह हमारी पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है . चंद्रमा को एक पूरी परिक्रमा करने में 27.3 दिन का समय लगता है . 27 दिन में चंद्रमा 27 तारो के समूह से गुजरता है और इसी से नक्षत्र की गणना की जाती है . चंद्रमा और 27 सितारों के इसी संयोग को ही नक्षत्र कहा जाता है .
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कैसे बने नक्षत्र – जाने कहानी
Nakshtra Birth Story in Hindi .
शिव महापुराण में बताई गयी एक पौराणिक कथा के अनुसार दक्ष ने अपनी 27 कन्याओ का विवाह भगवान चन्द्र देवता से कर दिया |
चन्द्र देव इस विवाह को लेकर अत्यंत प्रसन्न हुए | कुछ समय बीतने के बाद चंद्रमा के सबसे करीब और सबसे अजीज रोहिणी हो गयी | चन्द्र देवता अपना पूरा ध्यान उसी पर रखते और बाकि पत्नियों को अनदेखा कर देते | इसी कारण रोहिणी तो प्रसन्न रहती पर बाकि 26 कन्याये दुखी रहने लगी |
अपनी व्यथा सभी दुखी पुत्रियों ने अपने पिता दक्ष से बताई | दक्ष ने पहले तो चन्द्र देवता को समझाया पर चन्द्र देव तो सिर्फ रोहिणी पर ही आसक्त थे | दक्ष ने तब क्रोध में आकर चंद्रमा को श्राप दे दिया की तुम्हे क्षय रोग हो जाये |
राजा दक्ष के श्राप के प्रभाव से चन्द्रमा की रोशनी जाती रही | वे दुखी होकर ब्रह्मा जी के पास गये | ब्रह्मा जी ने उन्हें शिव जी की तपस्या करने का उपाय बताया |
चंद्रमा ने सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना कर घोर तपस्या की | शिव ने उन्हें दर्शन दिए और बताया की आज से हर मास में दो पक्ष होंगे एक कृष्ण और एक शुक्ल
कृष्ण पक्ष के 15 दिनों में तुम्हारी रोशनी क्षीण होती जाएगी पर शुक्ल पक्ष में तुम्हारी रोशनी बढ़ती जाएगी और पूर्णिमा की रात तुम अपने सम्पूर्ण रूप में होंगे तो रोहिणी नक्षत्र में वास करोगे |
मास में 27 दिनों तक तक बारी बारी सभी 27 नक्षत्रो में वास करोगे | ये नक्षत्र ही अब से तुम्हारी पत्नियों का रूप होगा | बारी बारी से इसमे गमन करने से ये सभी प्रसन्न होगी |
27 नक्षत्रो के नाम
1 कृत्तिका, 2 रोहिणी , 3 मृगशीर्षा , 4 आर्द्रा, 5 पुनर्वसू , 6 पुष्य, 7 आश्लेषा , 8 मघा , 9 पूर्वाफाल्गुनी , 10 उत्तराफाल्गुनी , 11 हस्त , 12 चित्रा , 13 स्वाति , 14 विशाखा , 15 अनुराधा , 16 ज्येष्ठा, 17 मूल, 18 पूर्वाषाढ़ा , 19 उत्तराषाढ़ा , 20 अभिजित , 21 श्रवण , 22 घनिष्ठा , 23 शतभिषक , 24 पूर्वाभाद्रपदा , 25 उत्तराभाद्रपदा , 26 रेवती, 27 अश्विनी , 28 भरिणी।
यहा आप चौंक रहे होंगे की 28 नक्षत्र के नाम क्यों दिए गये है | दरअसल नक्षत्र की संख्या 27 ही है पर एक नक्षत्र ऐसा है जो क्रान्ति चक्र से बाहर पडता है जिसका नाम है अभिजित है |
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कौनसे नक्षत्र होते है अच्छे
दोस्तों अब जानिए उन शुभ और अच्छे नक्षत्रो के बारे में जिसमे आप जो भी काम करेंगे वो अच्छे और सिद्ध होते है .
ये 15 होते है और इनके नाम है :- रोहिणी, अश्विन, मृगशिरा, पुष्य, हस्त, चित्रा, रेवती, श्रवण, स्वाति, अनुराधा, उत्तराभाद्रपद, उत्तराषाढा, उत्तरा फाल्गुनी, घनिष्ठा, पुनर्वसु.
कौनसे नक्षत्र माने गये है अशुभ
ये चार नक्षत्र मुख्य रूप से है भरणी, कृतिका, मघा और आश्लेषा. इन्हे सबसे ज्यादा अशुभ माना जाता है . ऐसे नक्षत्रो में कोई शुभ कार्य नही करना चाहिए .
इन शुभ और अशुभ नक्षत्रो के अलावा जो बाकि नक्षत्र बचे है वो माध्यम श्रेणी के होते है .
पंचक और गंडमूल क्या होते है ?
आपने कभी न कभी बड़े बुजुर्गो से सुन रखा होगा कि फलाना काम मत करो अभी पंचक लग गये है . इसी तरह फिर किस में गंडमूल दोष होता है . तो आखिर यह पंचक और गंडमूल दोष क्या होता है आइये जानते है .
क्या होता है पंचक :-
चंद्रमा जब कुम्भ या मीन राशि पर होता है तो पंचक लग जाता है . यह पांच नक्षत्रो का बुरा समय होता है अत: इसमे कोई शुभ कार्य नही करना चाहिए . घर की छत नही नही भरानी चाहिए . यदि दक्षिण दिशा में आपको कोई यात्रा है तो वो पंचक में नही करनी चाहिए .
पंचक के पांच नक्षत्र है - क्रम 22 से लेकर 26 तक . नक्षत्र ( घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती ) होते हैं, उन्हें पंचक कहते हैं।
क्या है गंडमूल दोष -
यह बहुत ही अशुभ माना जाता है . जो बच्चे इस नक्षत्र में जन्म लेते है उनमे मूल दोष (गंडमूल ) हो जाता है . उनके जीवन में बहुत उथल पुथल और चिन्ताओ से घिरा होता है . ऐसे बच्चे के लिए एक विशेष पूजा , हवन और दान पूण्य कराने से यह दोष कम हो जाता है . ]
सारांश
- तो मित्रों इस ज्योतिष लेख में आपने जाना कि नक्षत्र क्या होते है , कैसे जन्म हुआ नक्षत्र का और कैसे नक्षत्र हमारे जीवन में अपना प्रभाव दिखाते है . शुभ और अशुभ नक्षत्र कौनसे होते है . आशा करता हूँ की आपको यह लेख जरुर पसंद आया होगा .
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