माँ कवलका मंदिर
Maa Kavalka Mata Mandir Madhya Pradesh . मदिरा पान करने वाले काल भैरव का मंदिर तो विश्व प्रसिद्द है , इन्ही के साथ साथ एक देवी मंदिर ओर भी ऐसा है जहा देवी माँ भक्तो द्वारा चढ़ाई मदिरा का पान करती है | यह मंदिर रतलाम शहर से लगभग 32 किमी की दूरी पर सातरूंडा गाँव में स्थित है । यहा माँ माता कवलका नाम से भक्तो में प्रसिद्द है | ऐसे चमत्कारों को देखकर माँ में आस्था और श्रद्दा और अधिक बढ़ जाती है | दूर दूर से भक्त माँ के दर्शन करने और अपना प्रसाद चढ़ाने आते है | कहते है माँ मदिरा पान करने भक्तो की उचित मुरदे पूर्ण करती है |
यह प्रसिद्ध जाग्रत मंदिर मध्यप्रदेश के रतलाम से 32 किमी की दुरी पर सातरूंडा गाँव में स्थित है . यह मध्य प्रदेश का जाना माना मंदिर है .
इस मंदिर में माँ कवलका, के साथ काल भैरव , काली माँ और भगवान शिव विराजमान है | इस मंदिर को पांडव काल का बताया जाता है . पहले इसका नाम कम्लाकाशी देवी था .
कवलका मंदिर का इतिहास ?
यहा के मंदिर बताते है कि उन्हें खुद को नही पता कि यह मंदिर वास्तव में कितना पुराना है . पर उनको उनके पूर्वजो ने बताया है की पांडवो के समय इस मंदिर का निर्माण हुआ था . एक बार पांडव यहा से गुजर रहे थे तब भीम ने एक मुट्ठी मिटटी से इस पहाड़ी का निर्माण किया था जिस पर यह माता का मंदिर बना हुआ है .
कवलका माता करती है मदिरा पान
यहा सिर्फ अकेली ही माँ कवलका मंदिर पान नही करती बल्कि इनके साथ साथ माँ काली और भैरवनाथ भी यह मदिरा पीते है | मदिरा का प्याला होठो पर लगते ही प्याला खाली हो जाता है | प्रसाद के रूप में बोतल में बची मदिरा भक्तो में बाँट दी जाती है |
भुत प्रेत से प्रभावित मनुष्यों का भी इस मंदिर में इलाज किया जाता है , भक्त अपने अपने तरीके से माँ के धोक लगाने आते है | कोई पेट के बल तो कोई नंगे पग इस मंदिर की यात्रा करते है | भक्तो का जमघट नवरात्री और हरियाली अमावस्या पर अधिक होता है |
मंदिर ३०० साल पुराना बताया जाता है और माँ मदिरा प्रसादी मंदिर निर्माण के समय से ही कर रही है | यहा आकर सुनी गोदे भर जाती है और फिर भक्त यहा बलि और अपने नव बच्चे के बाल उतारकर मानता को पूर्ण करते है
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मेहंदी से स्वास्तिक बनाने की परम्परा ?
यहा इस मंदिर में आपको एक अनोखी मान्यता देखने को मिलेगी . कहते है कि यहा आने वाली महिलाये मेहंदी से मंदिर की दीवार पर उल्टा स्वास्तिक बनाती है तो उनकी मुरादे माँ कवलका जल्दी ही पूरी करती है . यहा आप दीवारों पर हजारो स्वास्तिक बने हुए देख सकते है .
कहते है जब किसी की इच्छा पूरी हो जाती है तो उन्हें आकर उस उलटे स्वास्तिक को मिटाना होता है और फिर से नए स्वास्तिक का निर्माण करना होता है .
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