कौन है काल भैरव
तंत्र मंत्र के महा साधको के अनुसार वेद पुराणों में जिस परम शक्तिशाली और रूद्र रूप को बताया गया है वे ‘भैरव’ के नाम जाग्रत है , जिसके ताप से भगवान सूर्य एवं अग्नि रोशन हैं। सभी अपने अपने कार्यो में में तत्पर हैं, वे सभी इन्ही ‘भैरव’ के अनुशासन शीलता के कारणवश ।भगवान शंकर के अवतारों में भैरव का अपना एक विशिष्ट महत्व है।
जाने भैरव नाम किस बात को बताता है ?
भैरव शब्द का अर्थ
भैरव त्रिगुणात्मक स्वरूप त्रिगुणात्मक शक्ति का संचालन करते है |
भ- से विश्व का भरण (पोषण),
र- से रमश,
व- से वमन अर्थात सृष्टि का जन्म भरण और संहारण करने वाले शिव ही भैरव हैं।
भैरव ही सृष्टि का सर्जन , संचालक और संहारक बताया गया है।
कैसे दिखते है भगवान काल भैरव
यह श्यामल वर्णी भद्रासन विराजमान सूर्य वर्णी कही कही एक मुखी तो कही कही पञ्च मुखी विग्रह प्रतीत होते है |
वह एक मुखी विग्रह अपने चारों हाथों में धनुष, बाण वर तथा अभय धारण किए हुए हैं। ‘र’ अक्षरवाली भैरव मूर्ति श्याम वर्ण हैं। उनके वस्त्र लाल हैं। सिंह पर आरूढ़ वह पंचमुखी देवी अपने आठ हाथों में खड्ग, खेट (मूसल), अंकुश, गदा, पाश, शूल, वर तथा अभय धारण किए हुए हैं। ‘व’ अक्षरवाली भैरवी शक्ति के आभूषण और
तंत्रसार में बताया गया है की भैरव कलियुग के जागृत देवता हैं। तंत्र शास्त्र में इनका माँ काली के समान ही मुख्य स्थान है | यह परम कृपालु एवं शीघ्र मनोकामना पूर्ण करने वाले देवता है | जिस भक्त ने अपने जीवन को इनके चरणों में समर्प्रित कर दिया उसके जीवन रुपी पुष्प के यह स्वं माली बनकर भरण पोषण करते है | इनकी निरंतर आराधना और साधना से मनुष्य महा सिद्धियों को पा कर जीवन में सफलता अर्जित करता है |
काल भैरव और बटुक भैरव में अंतर क्या है ?
काल भैरव के मुख्य मंदिर :
काल भैरव को सबसे प्रसिद्ध मंदिर काशी के कोतवाल का है जो वाराणसी में पड़ता है | भैरव को ब्रह्मा के एक शीश काटने पर ब्रहम हत्या के पाप से यही मुक्ति प्राप्त हुई थी | इसके अलावा इनका मदिरापान करने वाला चमत्कारी मंदिर उज्जैन में स्थित है |
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