वास्तु के अनुसार घर के मंदिर में मूर्तियाँ कैसी हो , जाने नियम
हमारे घर के मंदिर (पूजा स्थल ) में किस देवी देवता की कैसी मूर्ति होनी चाहिए , आज हम इस पर प्रकाश डालेंगे | हिन्दू धर्म में हर घर में एक जगह पूजा स्थल की बनाई जाती है जिसमे देवी देवताओ की मूर्ति और फोटो को विराजित कर पूजा की जाती है | हम घर में सुख शांति और समृधि के लिए सुबह और शाम उनकी पूजा अर्चना करते है |
वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में मूर्तियों को रखने के कुछ नियम बताए गए हैं, अगर हम इसका पालन करते हैं तो जीवन में हमेशा सुखी रहेंगे।
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वास्तु की प्रबल मान्यता है की घर में देवी देवताओं की खड़ी प्रतिमा की बजाय आसन पर बैठी हुई मूर्तियां अधिक शुभ और लाभ प्रदान करने वाली होती है। बैठने से मान्यता है की वो इस मंदिर में विराजमान है | इससे वो मंदिर में अपना हमेशा वास रखेंगे और पूजा पाठ को स्वीकार करेंगे |
वास्तु विज्ञान के अनुसार घर में देवी लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश और भगवान कुबेर की मूर्ति कभी खड़ी नहीं होनी चाहिए। इनका बैठा होना हमेशा शुभ और लाभदायक होता है।
किसी भी देवी देवता की एक से ज्यादा मूर्ति नही होनी चाहिए |
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घर के मंदिर में किस दिशा में क्या होना चाहिए
⭐ वास्तु नियम से पूजा स्थल की जगह उत्तर पूर्व दिशा (ईशान कोण) को बताई गयी है . यहा मंदिर या जल स्थल (Water Tank) ही होना चाहिए .
⭐ मंदिर में रखी मूर्तियों की दिशा उत्तर और दक्षिण की तरफ नही होनी चाहिए , नही तो पूजा करते समय आपका मुंह या पीठ दक्षिण दिशा की तरफ हो जाएगी . दक्षिण दिशा को यम की दिशा माना जाता है .
⭐ मूर्तियों को ऐसे स्थापित करे की वे एक दुसरे को नही देखे | एक दुसरे को देखती मूर्तियाँ सकारात्मक उर्जा के टकराने का कारण बन जाती है .
⭐ पूजा पाठ करते समय कभी भी देवी देवताओ को आपकी पीठ नही दिखे |
⭐ पूजा घर का रंग हल्का पीला होना चाहिए |
⭐ पूजा घर में हमेशा उजाला होना चाहिए और साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखे . यह घर का सबसे पवित्र स्थल होता है .
⭐ घर के मंदिर में शिवलिंग अंगूठे से बड़ा नही होना चाहिए .
सारांश
- तो दोस्तों यहा हमने जाना कि घर के मंदिर में किस तरह की मूर्तियाँ होनी चाहिए . क्या कहते है वास्तु नियम . मूर्तियों को रखने की दिशा और नियम क्या है आदि . आशा करता हूँ यह पोस्ट आपको जरुर अच्छी लगी होगी .
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