कैसे करे भैरव जयंती कालाष्टमी पर पूजा पाठ
मार्गशीर्ष मास की कृष्णपक्ष अष्टमी (आठे) ( नवंबर / दिसम्बर ) को भगवान शिव ने अपने त्रिनेत्र से इन्हे ब्रह्मा का झूठा अहंकार खत्म करने के लिए अवतरित किया था | इस साल 2023 में भैरव जयंती मंगलवार, 05 दिसंबर मंगलवार को आ रही है |
भैरव जयंती कालाष्टमी 2023 कब है ?
इस साल 2023 में काल भैरव जन्म 05 दिसंबर मंगलवार को आ रहा है . यह दिन कालाष्टमी के नाम से जाना जाता है . इसे भैरवाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है . ब्रह्मा के पांचवे मुंह ने जब सभी देवी देवताओ की सभा में शिव जी को अपशब्द कहे तो शिव के क्रोध से इनका जन्म हुआ और इन्होने अपने तेज नाखुनो से ब्रह्मा के उस शीश को अलग कर दिया .
कालाष्टमी का महत्व
कालाष्टमी के दिन ही शिव रूद्र अवतार भैरव का जन्म शिव क्रोध से हुआ था . यह दिन था मार्गशीर्ष मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी अर्थात अँधेरी रात की अष्टमी . अत: काल भैरव का रूप काला और भयंकर बताया गया है .
यह शिव के पांचवे अवतार ही है | यह दिन भैरव जयंती , भैरव जन्मदिवस , भैरव अष्टमी या कालाष्टमी के नाम से पूजा जाता है | इनकी मुख्य सवारी स्वान (कुत्ता ) है |
कालाष्टमी पूजा कैसे करे
इस दिन भैरव की पूजा उपासना और व्रत करने से भैरव अति प्रसन्न होकर अपनी कृपा की वर्षा करते है | दिन भर व्रत रखे रात्रि में जागरण करे | किसी नजदीकी भैरव मंदिर में जाकर एक सरसों के तेल का दीपक जलाये और काले तिल और उड़द भेंट करे | हो सके तो एक मदिरा की बोटल भी जरुर चढ़ा कर आये . रात्रि में जागरण काल में शिव पार्वती की भैरव कथा जरुर सुननी चाहिए और भैरव के 108 नाम का जाप करना चाहिए | आस पड़ोस के कुत्तो को भी अच्छे भोज कराये और भैरव को प्रसन्न करे |
भैरव का साप्ताहिक दिन :
भैरव का प्रिय दिन मंगलवार और रविवार का बताया गया है | इस दिन भैरव मंत्र साधना करने से भूत प्रेत बाधा दूर होती है | शत्रु बाधा दूर करने में भी भैरव पूजा जल्दी फलदायी है | इनका मुख्य शस्त्र दंड है अत: इन्हे दंडपति के नाम से भी जाना जाता है |
भैरव के पसंदीदा भोग :
मदिरा , कचोडी , काले उड़द , काले गुलाब जामुन , काले तिल , लाल अनार , कटहल आदि.
कालाष्टमी पर मंदिरों में विशेष धूम धाम
ऐसी मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन भैरव जाग्रत रहते है और अपने भक्तो द्वारा दिए गये भोग और सम्मान को जरुर स्वीकार करते है . अत: इस दिन भैरव मंदिरों में काफी भीड़ होती है . भैरव के दो जाग्रत सिद्ध पीठ काशी और उज्जैन में विशेष मेला भरता है और दूर दूर से भक्त यहा मंदिरों में आते है .
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