वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के लिए वास्तु टिप्स 


Vastu Tips For Lucky Home in Hindi . 

आप माने या ना माने पर हकीकत यही है की हमारे घर , रसोई , ऑफिस और व्यापार करने वाली जगह पर वास्तु शास्त्र और उसकी बातो का अत्यधिक महत्व है | यदि इन वास्तु टिप्स का ध्यान रखा जाये तो जीवन में आने वाली कठिनाईयाँ दूर हो जाती है , भाग्य उदय होता है |

आज तक टेक्नोलॉजी इतनी विकसित हो गयी है कि हम घर का निर्माण करने से पहले ही किसी आर्कीटेक्चर से उसका नक्शा और 3D मॉडल बनवा लेते है जिसमे निर्माणकर्ता पहले से ही उसमे सही वास्तु ज्ञान का प्रयोग कर लेता है . वो सही दिशा में उक्त दिशा से सम्बंधित ही निर्माण करने को कहता है जिससे की घर का वास्तु सही रहे . 

vastu se jane ghar ka naksha

वास्तु शास्त्र (Vastu shastra )  की टिप्स से घर में सकारात्मक उर्जा (positive engry) आती है जिससे समृधि , सुख , शांति और सम्पन्नता के द्वार खुल जाते है | घर में रहने वाले व्यक्तियों में एक अलग ही पॉजिटिव उर्जा आ जाती है और वे कार्य अच्छे तरीके से पूर्ण कर लेते है | घर के सदस्य तन मन और धन से सुखी रहने लगते है . वास्तु की  आठ दिशाओ से ही उन पर खुशियाँ बरसने लगती है . 

क्या है वास्तु शास्त्र और घर के लिए क्या नियम है इसके ?

दिशाओ का सही ज्ञान और उन दिशाओ में क्या निर्माण हो , कौनसी चीजे रखी जानी चाहिए | यही बाते जिस शास्त्र के अंतर्गत आती है वही है भारतीय वास्तु शास्त्र | वास्तु शास्त्र के नियमो को पालन करने से घर में और घर के सदस्यों में सकारात्मक उर्जा में बढोती होती है और सफलता और समृधि के नए आयाम खुल जाते है |

कही आपका घर पर वास्तु दोष में तो नही आता ? कही आपने किसी विशेष दिशा में कोई गलत चीज तो नही लगा रखी हो उन्नति और समृधि में आड़े आ रही है .  

Vastu shastra se jaane ghar ka naksha

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एक अच्छे घर के लिए वास्तु टिप्स :

1) घर का मुख्य द्वार : घर का मुख्य द्वार दक्षिण दिशा ( south facing ) की तरफ नही खुलना चाहिए | यदि ऐसा है तो यह संकट का द्वार है | इसके विपरीत यदि घर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा में है तो यह समृधि का द्वार माना जाता है |

2) अवरोधक : घर के मुख्य द्वार पर बिजली का खम्बा , पेड़ नही होना चाहिए | यदि यह द्वार के साइड में हो तो कोई बात नही |

3) T पर घर : घर का मुख्य द्वार T पर होना भी अत्यंत कष्टकारी माना जाता है | इसलिए ऐसे घरो के मुख्य द्वार पर एक दर्पण लगाया जाता है जिससे की इस तिराहे में बने घर पर आने वाली नकारात्मक शक्तियां कांच से टकराकर वापिस चली जाए .  

4) देवताओ की दिशा : घर के निर्माण में वायु , जल और अग्नि देवता (water and air god) का ध्यान रखना जरुरी है | अग्नि देवता वाले स्थान पर जल रखना और जल देवता के स्थान पर अग्नि रखना अत्यंत गलत और अमंगलकारी है |

5) रसोई की जगह : अग्नि देव का स्थान अग्नि कोन (आग्नेय ) (दक्षिण पूर्वी ) दिशा में माना जाता है अत: इस स्थान पर रसोई ( kitchen ) ही बनानी चाहिए | पढ़े रसोई से जुडी वास्तु शास्त्र की टिप्स

6) पानी के टैंक का स्थान : जल देवता का स्थान ईशान कोन (उत्तर पूर्वी ) को माना जाता है अत: पानी का टैंक आप इस जगह वास्तु के नियम के अनुसार बनाये |

7) पूजा घर का स्थान : टैंक (water tank )के ऊपर ही पूजा घर (worship room) भी ईशान दिशा में होना शुभकर माना गया है |

दिशाओ के आधार पर जाने किस दिशा में क्या हो ? 

पूर्व दिशा :- यह दिशा सूर्य उदय की दिशा है जहाँ से मुख्य सकारात्मक उर्जा का प्रवेश होता है . इस दिशा में खिड़की दरवाजे जरुर होने चाहिए जिससे घर में सकारात्मकता बढ़ सके . 

दक्षिण दिशा - यह दिशा यम की मानी जाती है और सभी दिशाओ में सबसे निचे गुण की दिशा है . इसमे जहाँ तक हो सके कोई खिड़की दरवाजे ना रखे . इस दिशा में घर का भारी सामान रखना चाहिए . 

उत्तर दिशा :- घर की उत्तर दिशा भी सकारात्मक शक्तियों के लिए जानी जाती है .इस  दिशा में भी घर के दरवाजे और खिड़कियाँ होनी चाहिए . घर की उत्तर दिशा में यदि बालकनी हो तो बहुत ही अच्छा होता है . 

उत्तर पूर्व :- उत्तर पूर्व दिशा ईश्वर के मंदिर की दिशा है . इस दिशा में आप जल का टेंक बनवा सकते है और साथ ही टैंक के ऊपर मंदिर का निर्माण करवा सकते है . 

ध्यान रखे इस दिशा में कभी भी बाथरूम या गन्दी जगह नही होनी चाहिए . 

उत्तर - पश्चिम - यह दिशा वायव्य दिशा कहलाती है . इस दिशा में आप बेड रूम बनवा सकते है . 

दक्षिण  - पश्चिम - यह दिशा नैऋत्य दिशा कहलाती है . इसमे भी खिड़की दरवाजे नही होने चाहिए . यहा भी घर का भारी सामान आप रख सकते है . 

दक्षिण-पूर्व दिशा -यह दिशा अग्नि की दिशा कहलाती है जिसे आग्नेय दिशा कहा जाता है . इस दिशा में सबसे उत्तम रसोई की जगह होती है . इस दिशा में हमेशा एक लाल रंग का बल्ब जलता रहना चाहिए .  


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