साई प्रार्थना से पाए साई बाबा की कृपा
साई प्रार्थना में बहुत ही सुन्दर पंक्तियों में साई बाबा को रिझाने के लिए भक्तो का मार्ग दर्शन किया गया है | इसमे गुरूवार के दिन व्रत करके साई से दुःख दर्द मिटाने की विनती करने की बात बताई गयी है | साई बाबा को त्रिदेवो का रूप बताया गया है | भव सागर को पार लगाने वाले साई हम सभी की भूल को क्षमा करे और आपका दयामय ममतामय हाथ हमेशा हमारे सिर पर रखा रहे |
साई प्रार्थना का सार
निचे जो साई प्रार्थना दी जा रही है , उसका सार यही है कि आप साई बाबा के व्रत करने का क्या फल प्राप्त कर सकते है . जिस घर में श्रद्धापूर्वक और पूर्ण निष्ठा से साई जी का व्रत किया जाता है , वहा साई जी अति प्रसन्न होकर अपनी करुणामय दया लुटाते है .
इस प्रार्थना में आप देखेंगे कि कवि ने साई जो की परम शक्ति का ही रूप बताया है . साई का जप कल्याणकारी होता है . जो इसका सुमिरण करता है उनका मन निर्मल हो जाता है .
साई तो खुद दयामय थे और जो भक्त उनका दयामय होता है , वो साई के बहुत करीब होता है .
साई प्रार्थना कविता के रूप में
साईं कृपा से व्रत कथा लिखवाई, भक्तों के हाथों में पहुंची|
साईं गुरुवार व्रत करे जो कोई, उसका कल्याण तो हरदम होई|
घर बार सुख शांति होवे, साईं ध्यान करे जो सोवे|
भोग लगावे निसदिन बाबा को जोई उसके घर में कमी न होई|
बाबा की प्रार्थना करिए, साईं मेरे दुःख को हरिए|
शिरडी में बाबा की मूर्ति है प्यारी, भक्तों को लगे है न्यारी|
मेरे साईं मेरे बाबा, मेरा मन्दिर मेरा काबा|
राम भी तुम शाम भी तुम हो, शिवजी का अवतार भी तुम हो|
हनुमान तुम ही हो साईं, तुम्ही ने थी लंका जलाई|
कलियुग में तुम आए थे साईं, भक्तों का कल्याण हो जाई|
भक्तिभाव से पड़े कथा जो, उसकी इच्छा पूरी हो जाती|
बाबा मेरे आओ साईं हमको दर्शन दिखलाओ साईं|
तुम बिन दिल नहीं लगता, आंसू का दरिया है निकलता|
जब-जब देखें तेरी मूरत, तब-तब भीग जाए मेरी मूरत|
अंधन को आंखे देते, दीन दुखी के दुख हर लेते|
तुम सा नहीं है कोई सहाई, जपते रहें हम साईं साईं|
नाम तुम्हारा मंगलकारी, भवसागर से भक्तों को तारी|
बाबा मेरे अवगुण माफ कर देना, भक्ति मेरी को ही लेना|
बाबा हम पर दया करना, अपने चरणों में ही रखना|
चरणों में तुम्हारे शीतल छाया, बचे रहेंगे नहीं पड़ेगी मंद छाया|
हमारी बुद्धि निर्मल करना, जग की भलाई हमसे करना|
हमको साधन बना लो बाबा, दया कृपा क्षमा दो बाबा|
अज्ञानी हम बालक मंदबुद्धि, तेरी दया से हो मन की शुद्धि|
पाप ना कोई हमसे होने पाए, दुःख कोई जीव ना पाए|
हरपल भला हम करते आए, गुणगान हरपल तेरे गांए|
||दोहा||
साईं हम पर कृपा करो, बालक हैं अनजान|
मंदबुद्धि हम जीव हैं, हमको लो आन संभाल||१||
व्रत आपका कर रहे, दो आशीष यह आन|
विध्न पड़े न इसमें कोई, कृपा करो दीनदयाल||२||
इस तरह आपने साई प्रार्थना की कविता और उसके महत्व को समझा . आशा करता हूँ कि यह लेख आपको जरुर पसंद आया होगा .
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