साई बाबा की ज्ञानवर्धक शिक्षाए
Sai Baba Ki Anmol Shikshaye Apne Bhakto Ke Liye .
गुरु सात्विक प्रकास का एक पुंज है जिसकी रोशनी से उनके अनुनायी अपने मन के संशयो और विकारो को नष्ट कर अपने जीवन पथ को निखार लेते है . मनुष्य जीवन 84 लाख योनियों में से एक पड़ाव है जिसमे से ही आप सिर्फ मोक्ष को प्राप्त कर सकते है .
इस महान जीवन को कैसे जीना है , कैसे ही जीवन से आप जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर ईश्वर में समाहित हो सकते है , यह ज्ञान गुरु की शिक्षाए ही बताती है .
आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे साई बाबा को मुख्य अनमोल शिक्षाओ के बारे में .
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श्रद्धा :-
श्रद्धा का अर्थ होता है प्रेम सहित विश्वास . साई बाबा के अनुसार सच्ची श्रद्धा से आप यदि ईश्वर को दाल रोटी भी चढाते है तो वो बिना श्रद्धा के चढ़ाये गये 56 भोग पर भी भारी हो जाती है . एक भक्त का सबसे पहला गुण है उसमे अपने ईश्वर के प्रति पूर्ण श्रद्धा का होना . जब श्रद्धा होगी तभी भक्त अपने आराध्य में पूर्ण समर्पण का भाव रख पायेगा . जितने भी नामी भक्त हुए है , उन्होंने अपने श्रद्धा की शक्ति से ही ईश्वर का सानिध्य पाया है .
सबुरी :-
साई बाबा की अनमोल शिक्षाओ में फिर आती है सबुरी . सबुरी का अर्थ होता है सब्र (इंतज़ार ) . जैसे एक बीज से फुल एक दिन में नही बनता वैसे ही एक ही दिन की प्रार्थना भी ईश्वर के द्वारा नही सुनी जाती है .
अपनी प्रार्थना को पूर्ण होने के लिए आपको सबुरी रखनी ही होगी . आप बस निष्ठा , श्रद्धा से ईश्वर को हर दिन अपनी प्रार्थना सुनाते रहे और सबुरी रखे , ईश्वर आपकी प्रार्थना को एक ना एक दिन जरुर पूरी करेंगे .
दक्षिणा :-
साई बाबा हर दिन शिर्डी में भिक्षा मांगने जाते थे , बैजा बाई जो साई बाबा को अपना पुत्र बताती थी , कई बार साई को भिक्षा मांगने के लिए मना करती थी और कहती थी कि साई बाबा के लिए खाना वो खुद बना कर ले आएगी .
पर साई बाबा भिक्षा मांगने को अपने जीवन का एक जरुरी हिस्सा बताते थे .
यह भिक्षा उन्हें वैराग्य के बारे में बताती थी , इस संसार में कुछ भी अपना नहीं है . यह भिक्षा ही साई बाबा के वैराग्य को गुण को जीवित रखती थी .
गुरु में सम्पूर्ण समर्पण :-
साई बाबा ने अपने भक्तो को सन्देश दिया कि जिसे भी आप गुरु मानते है , उन पर पूर्ण विश्वास रखो . उनकी सेवा में खुद को सम्पूर्ण समर्प्रित कर दो . यदि आपके मन में गुरु के प्रति कोई संदेह है तो उसे त्याग दो .
शुद्धता :-
साई बाबा के अनुसार शरीर का ही स्वत्छ रखने के साथ साथ मन का आंतरिक शुद्ध होना भी बहुत जरुरी है . मन में परोपकार , निस्वार्थ , जनकल्याण ,दया का भाव होना चाहिए . काले मन और दुर्भावना से घिरे मन से पूजा करने का कोई फायदा नही होता है .
जीवो पर दया करो
साई बाबा ने हमेशा अपने भक्तो को यह मेसेज दिया है कि सिर्फ मनुष्य ही नही बल्कि सभी जीव जंतु ईश्वर के प्रिय होते है . हमें अपने आस पास के सभी जीव जन्तुओ का भी ध्यान रखना चाहिए . उनके लिए पानी खाने की व्यवस्था रखनी चाहिए . आपके आस पास में कोई भी जीव भूखा नही सोये .
मनुष्य को ईश्वर ने अपना पेट भरने की काबिलयत दे कर भेजा है , साथ ही उसे दुसरो जीवो का भी पेट भरना चाहिए .
सबका मालिक एक
साई बाबा ने सभी लोगो को बताया कि ईश्वर एक ही है . हम मनुष्यों ने ईश्वर को जाति पाति धर्म के नाम पर अलग अलग नाम और रूप में बाँट दिया है .
आप चाहे हिन्दू हो , मुस्लिम हो , सिख हो या ईसाई . आपके द्वारा की गयी प्रार्थना एक ही जगह पर जाती है और वही से ही पूर्ण होती है .
इसलिए यह गलत नही है कि आप ईश्वर को किस रूप में पूजा कर रहे है पर किसी दुसरे के देवी देवता या उनके धर्म पर गलत बाते ना करे .
ईश्वर का धन्यवाद करे
साई बाबा ने अपने भक्तो की यह बहुत ही अच्छी शिक्षा दी है . साई बाबा के अनुसार हमारे जीवन में उतार चढाव तो आते ही रहेंगे . जीवन का मतलब ही उतार चदाव है . आप हमेशा एक ही दशा में नही रहेंगे . कभी ख़ुशी तो कभी गम . ऐसे मैं आपको सुखो के साथ दुखो में रहने की भी आदत डालनी होगी . ज्यादा सुख में ज्यादा सुखी ना रहे और ना ही ज्यादा गम में दुखी . हर समय परिवर्तनीय है .
रात्री से पहले ईश्वर का धन्यवाद करे क्योकि उसके लिए गये हमारी जिंदगी में फैसले आज नही तो कल हमारे लिए ही सही साबित होते है .
तो दोस्तों आशा करता हूँ कि आपको साई बाबा के द्वारा दी गयी उनके भक्तो को अनमोल शिक्षाए पसंद आई होगी . इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे और अपनी राय कमेंट के माध्यम से बताये .
आपका दिन शुभ हो , ॐ साई नाथाय .
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